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BNMU। सौन्दर्य बनाम सौन्दर्यता
SRIJAN.AALEKH

BNMU। सौन्दर्य बनाम सौन्दर्यता

सौन्दर्य बनाम सौन्दर्यता हिन्दी के भाववाचक विशेष्य (संज्ञा), ‘सौन्दर्य’ अथवा 'चातुर्य' के स्थान पर ‘सौन्दर्यता’ या 'चातुर्यता' का प्रयोग देखकर आप कैसा अनुभव करेंगे? सहज अनुमेय है, अच्छा नहीं। मैं भी बुरा अनुभव करता हूँ। मेरा यह आलेख उसी अनुभव का प्रकट परिणाम है। कहानी ‘उसने कहा था’ के यशोधन लेखक चन्द्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ का नाम आपमें से अधिकांश लोगों ने सुना होगा। उन्हीं की पुस्तक है ‘पुरानी हिन्दी’ (साहित्यागार, चौड़ा रास्ता, जयपुर; नवीन संस्करणः 2005) इसकी पृष्ठ-संख्या :23 पर उन्होंने जयमंगल सूरि का अग्रांकित वाक्यांश उद्धृत किया है-‘पौरवनिताचातुर्यतानिर्जिता’। इसमें सूरि जी ने ‘चातुर्य’ के स्थान पर ‘चातुर्यता’ का आपत्तिकर प्रयोग कर रखा है। गुलेरी जी ने इस पर उपहास करते हुए लिखा- ‘‘जयमंगल सूरि ‘चातुर्यता’ लिखकर हिन्दी के डबल भाववाचक का बीज बोते हैं। यही बात ‘सौन्दर्यता’-प्रेमी लोगों के ...