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Hindi। साहित्य और संस्कृति एक दूसरे के पूरक
साहित्य और संस्कृति एक-दूसरे के पूरक : काश्यप
साहित्य और संस्कृति का अन्योन्याश्रय संबंध है। ये परस्पर परिपूरक हैं। यह बात हिंदी विभाग, बीएनएमयू, मधेपुरा के एसोसिएट प्रोफेसर एवं प्रभारी अध्यक्ष डाॅ. सिद्धेश्वर काश्यप ने कही।
वे बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय फेसबुक पेज पर लाइव व्याख्यान में बोल रहे थे। इसका विषय साहित्य एवं संस्कृति था।
डाॅ. काश्यप ने कहा कि साहित्य ज्ञान का संचित कोश है। यह मनुष्य की चित्तवृत्तियों का प्रतिबिम्ब भी है। संस्कृति मनुष्य की चित्तवृत्तियों से संबंधित है। साहित्य में संस्कृति की अभिव्यक्त होती है।साहित्य के माध्यम से मनुष्य की चित्तवृत्तियों एवं आचार-विचार का संस्कार एवं परिष्कार होता है।
डाॅ. काश्यप ने कहा कि संस्कृति का संबंध धर्म-दर्शन से लेकर रीति -रिवाज, रहन-सहन, आचार -विचार,आहार -विहार, ज्ञान-विज्ञान, व्यवहार-कौशल, जीवन-पद्धति, कला-मूल...