Tag: वर्ण-व्यवस्था

Varna-Vyavastha aur Manvadhikar वर्ण-व्यवस्था और मानवाधिकार
Uncategorized

Varna-Vyavastha aur Manvadhikar वर्ण-व्यवस्था और मानवाधिकार

11. भूमंडलीकरण और भारतीय सभ्यता हम जानते हैं कि प्राकृतिक संपदाओं और मानव संसाधनों की प्रचुरता के कारण भारत को ‘सोने की चिड़िया’ कहा जाता था। मगर, पश्चिमी सभ्यता के झंडाबरदारों ने इसे सपेरोें, लूटेरों, जटाजूट वाले संन्यासियों, धर्मांधों, गरीबों एवं असभ्यों का देश कहकर ही प्रचारित किया। यह एक औपनिवेशिक दृष्टि थी, जिसे भारत के कई नवशिक्षित बुद्धिजीवियों ने भी बौद्धिकता एवं प्रगतिशीलता के अहंकार में अपनाया था। तब गाँधी ने इस औपनिवेशिक दृष्टि के साथ-साथ ऐसे बुद्धिजीवियों के मानसिक दिवालियेपन को भी ‘हिंद-स्वराज’ में झकझोरने की कोशिश की थी। ‘हिंद-स्वराज’ में गाँधी ने यह दिखाने का प्रयास किया है कि हिंदुस्तान पश्चिमी सभ्यता के कारण ही गुलाम हुआ है और हिंदुस्तान की दुर्दशा के लिए अंग्रेजी राज से अधिक अंग्रेजी (पश्चिमी) सभ्यता जिम्मेदार है। इसलिए, यदि हम भारतीय पश्चिमी सभ्यता के माया-जाल से निकलकर ...