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गीत/ कोमल चितबन मधुर प्रेम तुम/ अश्विनी प्रजावंशी
SRIJAN.KAVITA

गीत/ कोमल चितबन मधुर प्रेम तुम/ अश्विनी प्रजावंशी

https://youtu.be/5IkmWRhveKI कोमल चितबन मधुर प्रेम तुम तुम्हीं तो जीवन थाती हो कब से मेरे लिये खड़ी तुम तुम्हीं दीये की बाती हो। पीयूष धार चंचल ये घटायें तुम्हीं तो मीठी फाग हो तुमसे ही जीवन महका है तुम्हीं राग अनुराग हो तेरे आलिंगन में बंधकर सुध बुध मैनें खोया है प्रेम मधुरस पीकर झूमा तेरी सुंदर काया है तुम्हीं तो मेरी प्राण दीपिका तम को दूर भगाती हो। शबनम सी है चमक तुम्हारी प्रीत गीत औ आश तुम्हीं यादों में तुम खिली खिली हो लगता जैसे पास तुम्हीं तुम वँशी की मधुर तान हो मगर टेर क्या पाता हूँ बाट घाट में जब भी मिलती तुम्हें घेर क्या पाता हूँ यह अनन्त जन्मों का मधुवन रोज तुम्हीं महकाती हो। कुछ तो बात हुई है देखो घटा घोर उत्पाती क्यों राह में ओले पड़े हुये हैं बूझ रही संझबाती क्यों अदा तुम्हारी लचक लचीली लगती रूपरति रमणी है मयंक भी तुम्हें देखता हँसती सौम...