BNMU Dairy अखबार में नाम
*अखबार में नाम*
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हर कोई चाहता है कि उसका 'नाम' हो। कहते हैं न कि "पापा कहते हैं, बड़ा नाम करेगा...।" प्रायः सभी लोगों में नाम की चाहत होती है। यह एक तरह से 'अमरता' का ही प्रयास है।
वैसे प्राचीन भारतीय मनीषियों ने अपने नाम की वजाय सत्य को प्राथमिकता दी। प्रायः लोग अपने अमूल्य ग्रंथों में भी अपना नाम नहीं देते थे। लेकिन फिर नाम का चलन चला। नाम के लिए शिलालेख खुदबाने, सिक्के चलाने और किताबें लिखने तक कई यत्न किए जाते रहे हैं।
*एक कहानी*
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नाम का एक प्रमुख माध्यम है-अखबार। 'अखबार में नाम' बहुत मायने रखता है और इसको लेकर एक कहानी भी बहुत प्रचलित रही है। उस कहानी में नायक 'अखबार में नाम' के लिए अपना जीवन दांव पर लगा देता है।
*लेख का प्रभाव*
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खैर, मेरी भी बचपन से ही अख...