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NSS शिविर का पांचवां दिन।
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NSS शिविर का पांचवां दिन।

*शिविर का पांचवां दिन* कुदरत ने स्त्रियों को विशिष्ट गुण प्रदान किया है, जो उसे पुरुषों से अलग बनाती है। वह अपने गर्भ में नौ माह तक शिशू को धारण करती हैं। यह बात स्त्री रोग विशेषज्ञ मनीषा भारती ने कही। वे ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय की एनएसएस प्रथम इकाई के सात दिवसीय विशेष शिविर के पांचवें दिन सोमवार को स्त्री-स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि स्त्रियों को अपने खान-पान एवं जीवनशैली पर विशेष ध्यान देना चाहिए। अन्यथा स्त्री का सारा सौन्दर्य होने लगता है और गर्भधारण क्षमता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उन्होंने बताया कि स्त्री के शरीर में कुदरती रचना का एक अद्भुत नमूना है। इससे हर महीने 28 दिन के बाद योनि मार्ग से रक्तस्राव होता है। यह रक्तस्राव साधारणतः हर महीने 4-5 दिन तक रहता है। यदि यह स्राव बढ़कर 7-8 दिन चले या घटकर केवल 1 या 2 दिन ही रहे, तो...
NSS शिविर का तीसरा दिन। मानवाधिकार जागरूकता कार्यक्रम आयोजित।
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NSS शिविर का तीसरा दिन। मानवाधिकार जागरूकता कार्यक्रम आयोजित।

*शिविर का तीसरा दिन* वैसे अधिकार जो लोगों के जीवन के लिये अति-आवश्यक या मौलिक समझे जाते हैं उन्हें मूल अधिकार कहा जाता है।भारत के नागरिकों को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 12 से 35 तक मूल अधिकार प्रदत किए गए हैं। हमें इन अधिकारियों के प्रति सजग होना चाहिए और अपने कर्तव्यों का भी निर्वहन करना चाहिए। यह बात इतिहास विभाग, ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के सहायक प्राध्यापक डॉ. अमिताभ कुमार ने कही। वे एनएसएस प्रथम इकाई के सात दिवसीय विशेष शिविर के तीसरे दिन मानवाधिकार जागरूकता कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि आधुनिक विश्व में मानवाधिकार की अवधारणा संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से लिया गया है। इसका वर्णन संविधान के भाग-3 में (अनुच्छेद 12 से अनुच्छेद 35) है। इसमें संशोधन हो सकता है और राष्ट्रीय आपात के दौरान (अनुच्छेद 352) जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को छ...
NSS शिविर का दूसरा दिन। इलाज से परहेज़ बेहतर : डा. सच्चिदानंद यादव
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NSS शिविर का दूसरा दिन। इलाज से परहेज़ बेहतर : डा. सच्चिदानंद यादव

*शिविर का दूसरा दिन* इलाज से परहेज़ बेहतर : डा. सच्चिदानंद यादव स्वास्थ्य सिर्फ बीमारियों के अभाव की अवस्था नहीं है, बल्कि इसके कई अन्य आयाम भी हैं। इसमें न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक, सामाजिक व आध्यात्मिक पहलू भी समाहित है। यह बात सुप्रसिद्ध चिकित्सक सच्चिदानंद यादव ने कही। वे ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय की एनएसएस प्रथम इकाई के सात दिवसीय विशेष शिविर के दूसरे दिन स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छा खान-पान तथा शरीर एवं आस-पास की स्वच्छता जरूरी है। हमारा सकारात्मक सोच, समाजिक सरोकार, बेहतर वातावरण एवं प्रेमपूर्ण पारिवारिक संबंध भी आवश्यक है। *प्राकृतिक चिकित्सा बेहतर विकल्प* उन्होंने कहा कि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने बहुत प्रगति की है। लेकिन आधुनिक दवाइयों के काफी साइड इफेक्ट्स होते हैं। अतः हमारे लिए प्राकृतिक चिकित...