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Hindi। क्या ‘दिवंगत आत्मा’ का प्रयोग उचित है?
SRIJAN.AALEKH

Hindi। क्या ‘दिवंगत आत्मा’ का प्रयोग उचित है?

क्या ‘दिवंगत आत्मा’ का प्रयोग उचित है? श्री प्रभाकर मिश्र ने जानना चाहा है कि क्या किसी मृत व्यक्ति के लिए ‘दिवंगत आत्मा’ का प्रयोग सही है? लगभग ऐसा ही प्रश्न प्रो. गणेशानन्द झा के दोनों नातियों ने भी किया है। इन दोनों बच्चों ने जिज्ञासा रखी है कि आत्मा जब एक है, तब प्राणियों में अनेक कैसे हो जाती है? सर्वप्रथम ‘दिवंगत आत्मा’ की व्याकरणिक विचिकित्सा करते हैं, फिर दार्शनिक विमर्श। यहाँ ‘दिवंगत’ शब्द विशेषण है, जबकि ‘आत्मा’ विशेष्य। दिवम-स्वर्गम् गतः दिवंगतः, अर्थात् स्वर्ग गया (हुआ) अथवा जो स्वर्ग चला गया। इसीलिए, इन्द्र को ‘दिवस्पति’ भी कहते हैं। सतत गमन के अर्थ में प्रयुक्त परस्मैपद धातु ‘अत्’ (अत् सातत्यगमने: अ.-1/31) में ‘मनिण्’ प्रत्यय के योग से ‘आत्मन्’ शब्द बनता है, जो कर्त्ताकारक एकवचन में ‘आत्मा’ का रूप ग्रहण कर लेता है; यथा - आत्मा (एकवचन)-आत्मानौ (द्विवचन)-आत्मानः (बहुवचन)।...
Maa माँ तेरी सूरत से अलग भगवान की मूरत क्या होगी!
SRIJAN.AALEKH

Maa माँ तेरी सूरत से अलग भगवान की मूरत क्या होगी!

नानी माय को भौतिक शरीर त्यागे तीन वर्ष हो गए। (पुण्यतिथि 21 अगस्त, 2020) लेकिन आजतक एक भी दिन वैसा नहीं है, जब मैंने अपने अंतर्मन में उनकी उपस्थिति महसूस नहीं की हो। मैं प्रतिदिन उनसे बातें करता हूँ, उनकी गोद में खेलता हूँ, उनके पास बैठकर हँसता हूँ। ...और उनके आंचल में छुपकर रोता हूँ। दरअसल, मेरे स्वघोषित बौद्धिक मन को रोना पसंद नहीं है, लेकिन दुख की घड़ियाँ तो आते ही रहती हैं और रोना भी चाहे-अनचाहे आ ही जाता है। ऐसे में नानी के आँचल की छाँव मेरे मन को शकून देती है। जैसा कि मैंने अपनी पी-एच. डी. थीसिस के आत्मकथन में लिखा है, "नानी मेरी 'पहली प्रेमिका' एवं 'पहली शिक्षिका' है।" सच कहूँ, तो नानी माय एक मात्र वैसी शख्सियत हैं (थी नहीं समझा जाए), जिन्हें मैं पूरा-पूरा स्वीकार्य हूँ- तमाम खूबियों एवं कमियों के साथ। एकमात्र वही मुझे सच्चा प्यार करती हैं-बेशर्त एवं अपेक्षारहित। ...और बिना किसी शिक...