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Gandhi। गाँधी-विमर्श-1 (आत्मकथन)
SRIJAN.AALEKH

Gandhi। गाँधी-विमर्श-1 (आत्मकथन)

गाँधी-विमर्श-1 (आत्मकथन) ============== आधुनिक सभ्यता के रथ पर आरूढ़ ‘मानव’ तथाकथित विकास की बुलंदियों पर है। आज आकाश को मुँह चिढ़ाते गगनचुंबी मकान, हवा से तेज दौड़ते वायुयान, धरती की दूरियों को खत्म कर देने वाले संचार सामान आदि उसकी पहचान हैं। उसने महामारियों से लड़ने वाले अचूक टीके बनाए हैं, शल्य-चिकित्सा के अत्याधुनिक उपकरण विकसित कर लिए हैं और बना लिया है, यौन-क्षमता से लेकर बौद्धिकता तक को बढ़ाने वाली दवाइयाँ। उसके पास हैं- कृत्रिम गर्भाधान, परखनली शिशु, अंग- प्रत्यारोपण एवं मानव-क्लोनिंग की तकनीक और झाड़ू लगाने एवं खाना बनाने से लेकर प्रेम एवं सेक्स करने तक में दक्ष मशीनें (रोबोट)। आज वह समुद्र की अतल गहराइयों में खेल रहाहै, अंतरिक्ष की सैर कर रहा है, ढूँढ रहा है- चाँद एवं मंगल पर बस्तियाँ बसाने की संभावनाएँ और देख रहा है-अमरता के सपने भी। लेकिन, तस्वीर का दूसरा पहलू ...