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Sehat Samvad युवाओं की स्वास्थ्य समस्याएं एवं समाधान

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व्यापक है स्वास्थ्य की अवधारणा : डा. फारूक अली

स्वास्थ्य एक व्यापक अवधारणा है और हमें इसे समग्रता में देखने की जरूरत है। सही मायने में वही व्यक्ति स्वस्थ है, जो शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक तीनों दृष्टियों से समस्या-रहित हो। ऐसे ही स्वस्थ व्यक्ति से स्वस्थ समाज एवं राष्ट्र का निर्माण होता है।

यह बात जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा के कुलपति सह बीएन मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के पूर्व प्रति कुलपति प्रो. (डाॅ.) फारूक अली ने कही।

वे रविवार को युवाओं की स्वास्थ्य समस्याएं एवं समाधान विषयक सेहत संवाद कार्यक्रम का उद्घाटन कर रहे थे। यह आयोजन ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति, पटना के सौजन्य से संचालित सेहत केंद्र के तत्वावधान में किया गया।

*युवाओं पर निर्भर है देश*

उन्होंने कहा कि देश की कुल आबादी का तक़रीबन 40 प्रतिशत किशोर एवं युवा हैं। इस अवस्था में सबसे अधिक ऊर्जा होती है। हम इस उर्जा को सकारात्मक दिशा देकर एक स्वस्थ, सबल एवं समृद्ध भारत का निर्माण कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि युवा संयमित जीवन जीएं, सकारात्मक रहें और उत्पादक श्रम करें।‌ हम अपना दैनिक कार्य स्वयं करें।किचन एवं गार्डेन आदि में हाथ बटाएं। मोबाइल एवं सोशल मीडिया पर समय बर्बाद करने की बजाय परिजनों एवं समाज के बीच समय दें।

*आधुनिक जीवनशैली के कारण परेशान हैं युवा : डॉ. विनीत भार्गव*

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार, नई दिल्ली के पूर्व पीआई एवं पब्लिक हेल्थ इम्पावरमेंट एंड रिसर्च आर्गेनाइजेशन के सीईओ डाॅ. विनीत भार्गव ने कहा कि उन्होंने उन्होंने कहा कि हमारा स्वास्थ्य हमारे अपने हाथों में है। हमें अपने स्वास्थ्य की जिम्मेदारी पहले खुद समझना चाहिए और हमारा उद्देश्य सिर्फ लंबा जीवन नहीं, बल्कि गुणवत्तापूर्ण जीवन होना चाहिए। हम दूसरों को दोषी ठहराने की प्रवृत्ति से बचें और स्वयं के स्वास्थ्य की पूरी जिम्मेदारी लें।

उन्होंने बताया कि युवावस्था में हम अपने भविष्य और विशेषकर कैरियर की चिंता में खो जाते हैं। इस आपाधापी और गलत जीवनशैली की वजह से युवा बीमारियों से ग्रस्त होते हैं।

उन्होंने कहा कि युवा गलत जीवनशैली के कारण शारीरिक एवं मानसिक बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं। वे तनाव, चिंता, निराशा एवं अवसाद आदि से घिर जाते हैं। उनमें बीपी, सूगर एवं थायरॉइड का खतरा भी तेजी से बढ़ता जा रहा है।

उन्होंने कहा कि युवाओं को अपने स्लीपिंग और फुड पैटर्न के बारे में भी अधिक सजग रहने की जरूरत है। देर रात तक जगना, जरूरत से ज्यादा भोजन करना हानिकारक है। युवा रात्रि में सही समय पर सोएं और पर्याप्त नींद लें। ताजा, सादा एवं हल्का भोजन करें।

हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. दिनेश चहल ने कहा कि हमें अपने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अनुशासन का पालन करना चाहिए। हम सभी का जीवन आज आनलाइन (डीजीटल) हो गया है, लेकिन आन लाइन (रास्ते पर) नहीं है। चौबीस घंटे में से चौबीस मिनट अपने स्वास्थ्य के लिए निकालें।

कार्यक्रम की अध्यक्षता दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डाॅ. सुधांशु शेखर ने की।अतिथियों का स्वागत मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. शंकर कुमार मिश्र ने किया। संचालन शोधार्थी सारंग तनय ने किया। तकनीकी पक्ष गौरव कुमार सिंह एवं सौरभ कुमार चौहान ने संभाला। रोहित सिंह एवं प्रकाश कुमार ने प्रश्न पुछा।।

इस अवसर पर डॉ. प्रियंका सिंह, विद्या रानी, प्रिया सिंह, चंदन कुमार कर्ण, डेविड यादव, सिद्दु कुमार, आनंद कुमार भूषण, चंदन कर्ण, डेविड यादव, डॉ. लक्ष्मण यादव, डॉ राजीव रंजन, गौरव सिंह, नरेश कुमार, गु्ल्फसां प्रवीण, निरंजन, नीरज कुमार, निरंजन कुमार, विकास कुमार प्रियंका सिंह, प्रोफेसर हरीश चौधरी, राकेश कुमार, राकेश कुमार, राम कुमार, रंजन यादव, राजवंशी अंसारी, सौरव कुमार चौहान, सारंग तनय, डाॅ. वसीम रजा, दिलीप कुमार दिल, अनुभा राय, रोहित कुमार, मिश्रा श्याम, प्रिया कुमार, प्रेम कुमार आदि उपस्थित थे

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

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भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।