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Sehat Samvad सेहत संवाद-5 का आयोजन।

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*सेहत संवाद-5 का आयोजन*
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आघात जीवन के लिए खतरनाक अवस्था है। इसमें अवयवों को रक्त प्रवाह कम के कारण उनमें ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। ऐसे में प्रायः अवयवों की क्षति और कभी-कभी मृत्यु हो जाती है। अतः हमें आघात से सावधान रहने की जरूरत है।

यह बात इमर्जेंसी मेडिकल यूनिट, पंडित मदन मोहन मालवीय हॉस्पिटल, दिल्ली सरकार, दिल्ली के इंचार्ज डॉ. एम. एस. प्रियदर्शी ने कही।

वे सोमवार को आघात : कारण एवं निवारण विषयक सेहत संवाद कार्यक्रम में मुख्य वक्ता थे। यह आयोजन ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति, पटना के सौजन्य से संचालित सेहत केंद्र के तत्वावधान में किया गया

उन्होंने बताया कि आघात कई कारणों से होता है। इनमें रक्त की मात्रा का कम होना, हृदय से रक्त की अपर्याप्त पंपिंग, या रक्त वाहिकाओं का अत्यधिक चौड़ा होना। जब आघात रक्त की मात्रा की कमी या हृदय की अपर्याप्त पंपिंग के कारण होता है, तो लोग सुस्त, निद्रालु या भ्रमित हो सकते हैं और उनकी त्वचा ठंडी या पसीने से तर हो सकती है तथा अक्सर नीली एवं फीकी हो जाती है।

उन्होंने बताया कि जब आघात रक्त वाहिकाओं के अत्यधिक चौड़ा होने से होता है, तो त्वचा गर्म और लाल हो सकती है, तथा नब्ज कमजोर होने की बजाय मजबूत और बलशाली (बाउंडिंग) हो सकती है।
जो लोग आघात-ग्रस्त होते हैं, उन्हें गर्म और ऐसी स्थिति में रखना चाहिए, जिसमें उनके पैर ऊपर की ओर उठे रहें।

उन्होंने बताया कि जब आघात संक्रमण के कारण होता है, तो संक्रमण के उपचार में एंटीबायोटिक और संक्रमण के स्रोत को हटाना शामिल है। जब आघात का कारण रक्तस्राव होता है, तो रक्तस्राव को रोकने के लिए सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है। यदि आघात का कारण कोई अंतःस्रावी विकार या एनाफाइलैक्सिस है, तो कॉर्टिकोस्टेरॉयड दवाई देने की जरूरत हो सकती है।

उन्होंने बताया कि आघात से बचने के लिए सही खानपान एवं उचित जीवन-शैली अपनाने की जरूरत है। सही और पौष्टिक खाना, वजन नियंत्रित रखना, शारीरिक रूप से सक्रिय रहना (व्यायाम इत्यादि), तम्बाकू सेवन एवं धूम्रपान बंद करना, तनाव कम करना, और मद्यपान बंद करना आवश्यक है। साथ ही उच्च रक्त-चाप (हाइपरटेंशन, हाई बीपी) और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखना एवं डायबिटीज से बचना जरूरी है। यदि ज्यादा दिक्कत हो, तो डाक्टर से संपर्क करना अनिवार्य है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य कैलाश प्रसाद यादव ने की। संचालन राजनीति विज्ञान विभाग के शोधार्थी सारंग तनय ने किया। अतिथियों का स्वागत दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डाॅ. सुधांशु शेखर और धन्यवाद ज्ञापन शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान ने किया।

इस अवसर पर पुस्तकालय विज्ञान विभाग के डॉ. राजीव कुमार, डेविड यादव, खुशबू कुमारी, नीतू देवी, श्वेता कुमारी, उजाला कुमारी, लवली झा, अंकित कुमार रोशन दास, प्रीति प्रिया, राहुल कुमार, शिवानी कुमारी, ज्ञान चंद्र, नीरज कुमार सिंह, रूपेश कुमार, अमित कुमार, उदय कुमार, श्वेता कुमारी, राजेश कुमार, मोहम्मद कैफ, नीतीश कुमार, राजू जागृति, पल्लवी राय, आरती शर्मा, बबलू अर्पणा, खुशबू कुमारी, नीतू देवी, निकेश कुमार, प्रीति प्रिया, निधि, प्रेमशंकर कुमार, रिंकी भारती, रूपेश कुमार, शिवांगी, रूपेश कुमार, तमन्ना खान, श्वेता कुमारी, उजाला कुमारी, लवली झा, अंकित कुमार रोशन दास, प्रीति प्रिया, राहुल कुमार, शिवानी कुमारी, रूडी कुमार, शिवम, श्रुति भारद्वाज, उजाला कुमारी, अनुपम कुमारी, ज्योतिष कुमार आदि उपस्थित थे

कार्यक्रम के आयोजन सचिव सह दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डाॅ. सुधांशु शेखर ने बताया कि इसके अंतर्गत 14-20 दिसंबर, 2023 तक
प्रतिदिन अपराह्न 01 : 30-02 : 30 बजे तक निर्धारित विषय पर संवाद सुनिश्चित है। इसके तहत 14 दिसंबर को रेबीज : कारण एवं निवारण, 15 दिसंबर को हायपरटेंशन : कारण एवं निवारण, 16 दिसंबर को 16 दिसंबर को कब्ज : कारण एवं निवारण और 17 दिसंबर को सिरदर्द एवं माइग्रेन : कारण एवं निवारण और 18 दिसंबर को आघात : कारण एवं निवारण विषयक संवाद हो चुका है। आगे 19 दिसंबर को टायफाइड : कारण एवं निवारण एवं 20 दिसंबर को आंतज्वर : कारण एवं निवारण विषयक संवाद सुनिश्चित है।

डाॅ. शेखर ने बताया कि
मुख्य वक्ता पब्लिक हेल्थ एम्पावरमेंट एंड रिसर्च आर्गेनाईजेशन, नई दिल्ली के सीईओ डॉ. विनीत भार्गव एवं इमर्जेंसी मेडिकल यूनिट, पंडित मदन मोहन मालवीय हास्पिटल, दिल्ली सरकार, दिल्ली के इंचार्ज डॉ. एम. एस. प्रियदर्शी होंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य डाॅ. कैलाश प्रसाद यादव करेंगे। संचालन राजनीति विज्ञान विभाग के शोधार्थी सारंग तनय करेंगे। तकनीकी व्यवस्था दर्शनशास्त्र विभाग के शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान संभालेंगे।

प्रधानाचार्य ने सभी शिक्षकों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों से कार्यक्रम में जुड़ने का अनुरोध किया है। कार्यक्रम गूगल मीट पर आयोजित होगा। लिंक- https://meet.google.com/zkt-fqqj-ctb है।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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