*सेहत केंद्र : सुधांशु शेखर को बेस्ट नोडल ऑफिसर पुरस्कार*
बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति, पटना द्वारा ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के असिस्टेंट प्रोफेसर (दर्शनशास्त्र) डॉ. सुधांशु शेखर को सेहत केंद्र का बेस्ट नोडल ऑफिसर चुना गया है।
उन्हें पटना में आयोजित एक समारोह में वरिष्ठ आईएएस केशवेन्द्र कुमार ने इससे संबंधित प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया।
इस अवसर पर समिति के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डाॅ. सज्जाद अहमद एवं सहायक निदेशक (युवा) आलोक कुमार सिंह, एन के गुप्ता, पीपुल्स फाऊंडेशन ऑफ इंडिया के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी ऋषु प्रकाश, गंगा देवी महिला महाविद्यालय, पटना की प्रधानाचार्य डाॅ. मणिबाला, जीडी वीमेंस काॅलेज, पटना की नोडल पदाधिकारी डाॅ. हीना रानी, टी. एन. बी. काॅलेज, भागलपुर के नोडल पदाधिकारी डाॅ. सुमन कुमार, बलराम कुमार, रोहित झा, डाॅ. सोनाली, निलांशु सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
डाॅ. शेखर ने बताया कि गत एक जुलाई से सेहत केंद्र का शुभारंभ हुआ है और इससे माध्यम से कई गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है। इसमें कोविद-19 टीकाकरण एवं स्वैच्छिक रक्तदान और सेहत- संवाद कार्यक्रम प्रमुख है। केंद्र में महापुरुषों की तस्वीरें लगाई जा रही हैं और सेहत संबंधी पुस्तकों का संग्रहण किया जा रहा है। साथ हक सेहत-वाटिका का निर्माण एवं सेहत-वार्ता (पुस्तिका) के प्रकाशन की योजना है।
मालूम हो कि डाॅ. शेखर 3 जून, 2017 से ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में कार्यरत हैं। इस बीच इन्होंने महाविद्यालय में कई महत्वपूर्ण आयोजन कराए हैं। इसमें मार्च 2021 में दर्शन परिषद्, बिहार का राष्ट्रीय अधिवेशन सर्वप्रमुख है।
साथ ही यहाँ पूर्व सांसद एवं पूर्व कुलपति पद्मश्री प्रोफेसर डाॅ. रामजी सिंह, भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के अध्यक्ष प्रोफेसर डाॅ. रमेशचन्द्र सिन्हा, अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के अध्यक्ष प्रोफेसर डाॅ. जटाशंकर और नव नालंदा महाविहार के कुलपति प्रोफेसर डाॅ. वैद्यनाथ लाभ सहित कई गणमान्य विद्वानों का ऑफलाइन एवं ऑनलाइन व्याख्यान हो चुका है। विश्वविद्यालय के विभिन्न आयोजनों में भी जनसंपर्क पदाधिकारी एवं उप कुलसचिव (शै.) के रूप में इनकी महती भूमिका रहती है।
डाॅ. शेखर ने लेखन, संपादन एवं शोध के क्षेत्र में भी अपनी एक अलग पहचान बनाई है। इनकी तीन पुस्तकें ‘सामाजिक न्याय : अंबेडकर विचार और आधुनिक संदर्भ’ (2014), ‘गाँधी- विमर्श’ (2015) एवं ‘भूमंडलीकरण और मानवाधिकार’ (2017) काफी लोकप्रिय हैं। इन्होंने कई पुस्तकों का संपादन किया है और यूजीसी केयर लिस्टेड जर्नल दार्शनिक त्रैमासिक के संपादक मंडल के सदस्य भी हैं। इन्हें अखिल भारतीय दर्शन परिषद् का श्रीमती कमलादेवी जैन स्मृति पुरस्कार एवं डॉ. विजयश्री स्मृति पुरस्कार सहित कई पुरस्कार प्राप्त हैं।