सरस्वती-पुत्र रवि
हो उपासक माँ सरस्वती के
हो उद्धारक दलितों-पीड़ितों के
हो कीर्ति-तिलक सूर्य-पद्मिनी के
हो रवि उर-उन्नायक देवी मीरा के
हो पूज्य जनक मधु-दीप बंधु के…!
है स्पंदित वसुंधरा तेरी अमृत वाणी से
है सम्मानित साहित्य-जगत तेरी अमर लेखनी से
है पुलकित माँ भारती तेरी सत्य-साधना से
है प्रकाशित जन -जीवन तेरी समता-रश्मि से
है सुवासित सम्पूर्ण जगत तेरी प्रीति-सुरभि से…!!
–प्रो. कुमार चन्द्रदीप (लेखक की प्रकाशनाधीन पुस्तक ‘कशिश’ से साभार)