Philosophy पूर्व राज्यपाल ने किया दर्शन परिषद्, बिहार के 45 वें अधिवेशन का उद्घाटन।

रामेश्वर महाविद्यालय में दर्शन परिषद् बिहार का 45 वां अधिवेशन का उद्घाटन समारोह बड़ी भव्यता के साथ गुरुवार को संपन्न हुआ। अधिवेशन की अध्यक्षता मुख्य अतिथि नागालैंड एवं केरल के पूर्व राज्यपाल श्री निखिल कुमार ने की। उन्होंने अपने अध्यक्षीय भाषण में दार्शनिक तत्वों पर विवेचन करते हुए कहा कि दर्शन बाह्य जगत के साथ-साथ अंतर्जगत को झंकृत करता है।

उन्होंने यह कहा कि मैं दर्शन का ज्ञानी नहीं परंतु अद्वैत और द्वैत का द्वंद विषयक मंडन मिश्र एवं शंकराचार्य के बीच हुए शास्त्रार्थ की चर्चा की। जिसमें मंडन मिश्र की हार को देखकर उनकी धर्मपत्नी भारती ने शंकराचार्य को शास्त्रार्थ की चुनौती दी और शास्त्रार्थ में उन्हें पराजित किया। इसी क्रम में उन्होंने यह बात कहते हुए स्पष्ट किया कि जब मैं मिथिलांचल जाता हूं तो मंडन मिश्र की धरती पर अवश्य जाकर प्रेरणा लेता हूं।

उन्होंने स्वामी विवेकानंद के विश्व धर्म सम्मेलन की चर्चा करते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद ने भारतीय संस्कृति और दर्शन पर जो वक्तव्य दिया जिससे अमेरिका वासी मंत्र मुग्ध तो हुए ही पश्चात् पूरी दुनिया मंत्र मुग्ध हो गई। आज दुर्भाग्य है कि देशवासी पूरब की ओर जा रहे हैं लेकिन पश्चिम की ओर जा रहे स्वामी विवेकानंद के दर्शन को भुला दिया। उन्होंने वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना को चरितार्थ किया और सारे धर्म को सम्मान की दृष्टि से देखा।

आयोजन सचिव सह प्राचार्य प्रो.अभय कुमार सिंह ने मंचस्थ अतिथियों का शॉल,पुष्पगुच्छ, एवं स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया और कहा कि हमारा महाविद्यालय आज गौरव का अनुभव कर रहा है। साथ ही कहा कि दर्शन जीने का दृष्टिकोण देगा है। उन्होंने बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों के दर्शनशास्त्र के विद्वानों और शोधार्थियों को भी सम्मानित किया। परिषद की अध्यक्षा प्रो. पूनम सिंह ने परिषद का परिचय एवं विषय प्रवेश करते हुए कहा कि परिषद लगभग 74 वर्षों से दर्शन के क्षेत्र में विद्वानों का सम्मान, शोध लेखन एवं दर्शन के क्षेत्र में शोधार्थियों को प्रोत्साहित करता रहा है।

परिषद् के महासचिव प्रो.श्यामल किशोर ने पुरस्कारों की घोषणा की और इसी क्रम में आजीवन दर्शन के क्षेत्र में कार्य करने वाले डॉ अरुण मिश्र, प्रो महेश्वर मिश्र, किश्मत कुमार आदि को सम्मानित किया।


अन्य वक्ताओं में मगध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. कुसुम कुमारी ने कहा कि दर्शन केवल शिक्षा नहीं अपितु जीवन के लिए विशेष आवश्यक माना जाता है।उन्होंने शैक्षिक,राजनीतिक ,आर्थिक दर्शनों के परिक्षेत्र को विवेचित किया और दर्शन साहित्य के अध्ययन की विशेष महत्ता बताई।


भारतीय दर्शन अनुसंधान परिषद के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर आरसी सिंह ने दर्शन के विशिष्ट गुणों की चर्चा की और बताया की दर्शन का संबंध पूरी मानवता के लिए हितकर है। परिषद संरक्षक एवं वरिष्ठ दर्शन विद प्रो.महेश सिंह का उद्बोधन भी प्रभावकारी रहा। इसी क्रम में अधिवेशन के प्रधान सभापति प्रो सुनील चंद्र मिश्र ने विद्वत्तापूर्ण शैली में आलेख वाचन करते हुए बताया कि दर्शन जीवन पद्धति है और इसका अनुशीलन विश्व के पटल पर सबको आकर्षित करता है। दार्शनिक अनुगूंज के संपादक प्रो. नागेंद्र मिश्र ने अनुगूंज पत्रिका को यूजीसी के स्तर पर शीर्ष ऊंचाई को प्राप्त करने की बात कही।

कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्वलन एवं मंगलाचरण तथा स्वागत गीत से किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ धीरज कुमार एवं डॉ पायोली ने संयुक्त रूप से किया। धन्यवाद ज्ञापन अधिवेशन के समन्वयक प्रो. रजनी रंजन ने किया।

अधिवेशन में रामेश्वर महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रो विजयेंद्र प्रसाद सिंह, पीजी कॉमर्स विभागाध्यक्ष प्रो सैय्यद आले मुज्तबा, डॉ सुरेंद्र प्रसाद सिंह, सिंडिकेट सदस्य डॉ धनंजय सिंह, सीटीसी एवं आरडीएस कॉलेज की प्राचार्य प्रो अमित शर्मा, अरबीबीएम कॉलेज की प्राचार्य प्रो. ममता रानी, नीतीश्वर कॉलेज के प्राचार्य प्रो मनोज कुमार सिंह आदि को शॉल, स्मृति व पुष्प गुच्छ से सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम के आयोजन में संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो व्यास नंदन शास्त्री, हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो कुमारी आशा, डॉ उमेश प्रसाद सिंह, डॉ शारदानंद सहनी, डॉ उपेन्द्र गामी, डॉ चौधरी साकेत कुमार, डॉ सुमित्रा कुमारी, डॉ उमेश कुमार शुक्ला सहित कॉलेज के सभी शिक्षक और कर्मचारी व एनसीसी, एनएसएस के छात्र-छात्राओं ने सहयोग किया।

इस अवसर पर उपाध्यक्ष डॉ. शैलेश कुमार सिंह संयुक्त मंत्री डॉ. किस्मत कुमार सिंह, डॉ. सरोज कुमार वर्मा, डॉ. विजय कुमार, डॉ. सुधांशु शेखर, डॉ. नीरज प्रकाश, सौरभ कुमार चौहान आदि उपस्थित थे।