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NSS सच्चे समाजवादी थे डॉ. लोहिया

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*याद किए गए डॉ. लोहिया*

*सच्चे समाजवादी थे डॉ. लोहिया*

बीएनएमयू, मधेपुरा के राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के तत्वावधान में प्रशासनिक परिसर अवस्थित भूपेन्द्र प्रतिमा स्थल पर डॉ. राममनोहर लोहिया (23 मार्च 1910- 12 अक्टूबर 1967) की 59वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।

*डॉ. लोहिया के विचारों को जीवन में उतारें*

इस अवसर पर मुख्य वक्ता परिसंपदा प्रभारी शंभू नारायण यादव ने कहा कि राम मनोहर लोहिया का जन्म 23 मार्च, 1910 को अकबरपुर (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। उन्होंने 1929 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और 1929-33 के बीच जर्मनी में डॉक्टरेट की पढ़ाई की।

उन्होंने कहा कि डॉ. लोहिया सच्चे समाजवादी थे। उन्होंने वर्ष 1948 में अपने समाजवादी साथियों के साथ कांग्रेस छोड़ी और सन् 1952 में वे प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य बने। किंतु पार्टी के भीतर मतभेदों के कारण वर्ष 1955 में उन्होंने इस पार्टी से त्यागपत्र देकर सोशलिस्ट पार्टी का गठन किया। भूपेन्द्र नारायण मंडल भी इस पार्टी के प्रमुख नेता थे।

*अंतिम व्यक्ति के उत्थान हेतु किया कार्य*

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्राचीन भारतीय इतिहास एवं संस्कृति विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. ललन प्रसाद अद्री ने कहा कि डॉ. लोहिया लोभ एवं भय से परे होकर सच कहने की हिम्मत रखते थे। इसलिए वे स्वतंत्र भारत में विपक्ष की सशक्त आवाज थे। उन्होंने हमेशा बेवाकी के साथ तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नीतियों की आलोचना की।

उन्होंने बताया कि डॉ. लोहिया गैरकांग्रेसवाद के जनक थे। उनके प्रयास से ही सन् 1967 में पहली बार विभिन्न राज्यों में गैर कांग्रेसी सरकारों का गठन हुआ था। बाद में जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में चले संपूर्ण क्रांति आंदोलन के बाद केंद्र में भी पहली बार गैरकांग्रेसी सरकार का गठन हुआ।

*डॉ. लोहिया की यादों को संजोने की जरूरत*
विशिष्ट अतिथि परीक्षा नियंत्रक डॉ. शंकर कुमार मिश्र ने कहा कि मधेपुरा समाजवादी धरती है। यहां के कण-कण में डॉ. लोहिया की यादें बसी हुई हैं। हमें उन यादों को संजोने की जरूरत है।

*डॉ. लोहिया के अधूरे सपनों को पूरा करेने हेतु आगे आएं युवा*

कार्यक्रम समन्वयक डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि डॉ. लोहिया का नाम समकालीन भारतीय समाजवादी विचारकों में अग्रगण्य है। उन्होंने हमारे सामने चौखंबा राज, सप्तक्रांति एवं विश्व सरकार जैसे कई महत्वपूर्ण विचार रखे हैं। हम उनके विचारों को जानें-समझें और उसे अपने जीवन में उतारें, यही उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

इस अवसर पर शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान, शशिकांत कुमार, मेघा कुमारी, अखिलेश कुमार, राजेश कुमार, रंजीत कुमार, केशव कुमार, सिंटू कुमार आदि उपस्थित थे।

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