समय की मांग है कोविड उचित व्यवहार : प्रो. अमृत कुमार झा
कोरोना की मारक दूसरी लहर के थमते ही भारतीय फिर से पुरानी पटरी पे लौटते हुए दिखाई पड़ रहे है। हालांकि इस कड़ी में भारतीय दो वर्गों में विभाजित होते हुए प्रतीत हो रहे हैं। एक वर्ग अमूमन ऐसे व्यवहार करता है जैसे मानो कोरोना खत्म हो चुका हो और कोविड उचित व्यवहार उनके लिए मायने नहीं रखता।हाल ही में वीकेंड पर शिमला में जुटी भीड़ इसी वर्ग का उदाहरण है। मनोवैज्ञानिकों के लिए यह एक चिंता का सबब बना हुआ है की आखिर क्यूं मानव इतना सबकुछ अनुभव और देखने के बाद फिर ही गलती बार बार दोहरा रहा है। बहुत सारे तर्क-वितर्क दिए जा रहे है, जैसे रिवेंज ट्रैवलिंग, कोविड फेटिग,और वैक्सीनेशन।
बरहाल दूसरी तरफ एक ऐसा भी तबका है जो कोरोना के मार को अभी तक झेल रहा है। हाल ही में यह देखा गया है कि कोरोनाफोबिया से ग्रसित लोग मनोचिकित्सक के लगातार संपर्क में है। सूरत में तो लगभग दो महीने में ही लोगों ने 3-4 लाख की मानसिक रोग की दवाई खा ली। आगरा के प्रतिष्ठित मानसिक चिकित्सालय में प्रतिदिन 4-5 कोरोनाफोबिया के मरीज निरंतर आ रहे हैं। अब यहां सवाल यह उठता है कि कौन सा वर्ग इस कोरोना काल में खुद को और दूसरों को सुरक्षित रख पाता है। पहले तबके वाले लोगों के लिए यह निरंतर सुझाव दिया जा रहा है की लॉकडाउन भले ही खत्म हो गया हो, लेकिन वायरस नहीं। हाल में ही कोरोनावायरस के नये वैरीअंट, डेल्टा प्लस और लैमडा, बेहद खतरनाक बताए जा रहे हैं। इस परिस्थितियों के बीच भारत में कोरोना के संभावित तीसरे लहर की आशंका को देखते हुए ऐसे तबके के लोगों के मध्य एक सही मात्रा में कोरोना का डर व्याप्त होना तर्कसंगत प्रतीत होता है जो इन्हें नियंत्रित रखे। अनावश्यक घूमने से बचें और अगर बाहर निकले भी तो कोविड उचित व्यवहार का अनुपालन करें।
कोरोनाफोबिया तथा कोरोना संबंधी मानसिक तनावों को ऐसे कम किया जा सकता है:
• न्यूज़ कम देखें। फेक न्यूज़ से बिल्कुल परहेज करें। भारत सरकार के पीआईबी फैक्ट चेक नामक टि्वटर हैंडल से हमेशा संपर्क में रहें।
• जब समय मिले तो कोविड उचित व्यवहार का अनुपालन करते हुए घर से बाहर निकले
तथा बाहरी दुनिया के साथ सामंजस्य बिठायें।
• खुद को नए शौकों तथा आदतों का सौगात दें। ऐसा करने से आप सकारात्मक तथा प्रगतिशील रहेंगे।
•जो हो चुका है, उस पर ज्यादा ध्यान ना दें। आगे आप क्या-क्या कर सकते हैं, किस किस की मदद कर सकते हैं, आपके जीवन का लक्ष्य क्या है, ऐसे विचारों को प्राथमिकता दें। जो आपके नियंत्रण में हैं, उसी ओर बस कदम बढ़ाएं। अनावश्यक सोच में ना डुबे। जरूरत से ज्यादा सोचना हमेशा हानिकारक ही होता है। ओवरथिंकिंग किल्स।
•हमेशा याद रखें कि भारत में कोरोना से रिकवर केस, मरने वालों से बेहद ज्यादा है। अपने इम्यूनिटी पर खासा ख्याल रखें। गुनगुना पानी, हल्दी, शहद, अंडा, दूध, पनीर का नित्य सेवन करें।
•अपनी पुरानी जिंदगी के सफलताओं से आत्मविश्वास जगाने का प्रयास करें। अक्सर हम ऐसी विषम परिस्थितियों में खुद को आत्मसमर्पित कर देते हैं, जिसे लनर्ड हेल्पलेसनेस भी कहा गया है। इस मानसिकता से निकले और खुद को भविष्य के लिए सुदृढ बनाएं।
• मनोविज्ञान में ऐसा माना जाता है कि मनुष्य को संघर्ष में ही अपनी ताकत तथा जीवन के मकसद का पता चलता है। ऐसी मानसिकता को अपनाएं।