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ICPR स्टडी सर्किल का आयोजन

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*स्टडी सर्किल का आयोजन*

*सांस्कृतिक स्वराज पर व्याख्यान आज (शनिवार को)*
ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के स्मार्ट क्लासरूम में शनिवार को एक बजे से ‘सांस्कृतिक स्वराज’ विषयक व्याख्यान आयोजित है। इसके मुख्य वक्ता परिषद् के पूर्व अध्यक्ष डॉ. रमेशचंद्र सिन्हा होंगे।

आयोजन सचिव सह उप कुलसचिव (अकादमिक) डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि यह कार्यक्रम भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत संचालित भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली की एक महत्वपूर्ण योजना स्टडी सर्कल (अध्ययन मंडल) के तहत आयोजित है।

कार्यक्रम का उद्घाटन भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के कुलपति प्रो. (डॉ.) आर. के. पी. रमण करेंगे। इस अवसर पर मुख्य अतिथि पूर्व कुलपति प्रो. (डॉ.) ज्ञानंजय द्विवेदी, विशिष्ट अतिथि ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय में हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. वीणा कुमारी और सम्मानित अतिथि के. पी. कालेज, मुरलीगंज के प्रधानाचार्य डॉ. जवाहर पासवान होंगे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष शोभाकांत कुमार और अतिथियों का स्वागत महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. के. पी. यादव करेंगे। संचालन मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. शंकर कुमार मिश्र और धन्यवाद ज्ञापन एनसीसी पदाधिकारी ले. गुड्डू कुमार करेंगे।

डॉ. शेखर ने बताया कि स्टडी सर्किल आईसीपीआर की एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण योजना है। इसके तहत एक वर्ष तक प्रत्येक माह एक पूर्व निर्धारित विषय पर व्याख्यान और विचार-विमर्श होगा। शनिवार को आईसीपीआर के पूर्व अध्यक्ष डॉ. रमेशचन्द्र सिन्हा के सांस्कृतिक स्वराज विषयक व्याख्यान से इसकी शुरुआत हो रही है।

उन्होंने बताया कि स्टडी सर्किल के अंतर्गत होने वाले अन्य व्याख्यानों के विषय भी निर्धारित कर लिए गए हैं। द्वितीय व्याख्यान वेदांत दर्शन : एक विमर्श (डाॅ. राजकुमारी सिन्हा, रांची) और तृतीय व्याख्यान वेदांती समाजवाद : समसामयिक संदर्भ (डाॅ. जटाशंकर, प्रयागराज) विषय पर निर्धारित है।

डॉ. शेखर ने बताया कि आगे बौद्ध दर्शन की प्रासंगिकता (डॉ. वैद्यनाथ लाभ), वैश्वीकरण की नैतिकता (डॉ. आभा सिंह), नव वेदांत की प्रासंगिकता (स्वामी भवात्मानंद महाराज), समाज-परिवर्तन का दर्शन (डॉ. पूनम सिंह) एवं राष्ट्र-निर्माण में आधुनिक भारतीय चिंतकों का योगदान (डॉ. नरेश कुमार अम्बष्ट) विषय पर चर्चा होगी। इसके अलावा टैगौर का मानववाद (डॉ. सिराजुल इस्लाम),
भारतीय दर्शन में जीवन प्रबंधन (डाॅ. इन्दु पाण्डेय खंडूड़ी), गांधी-दर्शन की प्रासंगिकता (डॉ. विजय कुमार) एवं सर्वोदय-दर्शन की प्रासंगिकता (डॉ. विजय कुमार) विषयक व्याख्यान भी आयोजित किए जाएंगे।

*क्या है स्टडी सर्किल ?*
डॉ. शेखर ने बताया कि स्टडी सर्कल (अध्ययन मंडल) लोगों का एक छोटा समूह होता है, जो नियमित रूप से विभिन्न विषयों पर चर्चा करते हैं। कुछ वर्ष पूर्व आईसीपीआर ने स्टडी सर्किल योजना की शुरुआत की है और देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में इसे लागू किया गया है। बिहार में सर्वप्रथम पटना विश्वविद्यालय, पटना में स्टडी सर्किल की शुरुआत हुई थी और कुछ दिनों पूर्व भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा में भी इसकी स्वीकृति दी गई है।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

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