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ICPR के नए Logo और शोध पुस्तकों का विमोचन

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आज दिल्ली में Indian Council of Philosophical Research द्वारा आयोजित कार्यक्रम में ICPR के नए Logo और शोध पुस्तकों का विमोचन किया, साथ ही ICPR द्वारा आयोजित निबंध प्रतियोगिता के विजेताओं को सम्मानित किया।

मैं ICPR के साथियों को धन्यवाद देता हूँ, जिन्होंने पिछले 5 दशकों से भारतीय ज्ञान प्रवाह को समृद्ध करने में अपनी कलम के माध्यम से अनेक योगदान दिए हैं। आज जब विश्व की पुरानी सभ्यताएँ खंडहर या tourist spot बनकर रह गई हैं, भारत में आज भी अनेक ऐसे स्थान हैं, जो पिछले 3-4 हज़ार सालों से living habitation रहे हैं। हमारे देश में मानव सभ्यता का इतिहास rock art के रूप में भी मिलता है, जो archaeology के अनुसार 20-25 हज़ार साल पुराना इतिहास दर्शाता है। उस Paleolithic Period से आज के AI era तक, हमारे विचार प्रवाह, सामाजिक व्यवस्था, और प्रणालियों के केंद्र में मनुष्य ही रहा है। इन सभी व्यवस्थाओं के मूल में विज्ञान और दर्शन शास्त्र ही है।

हमारे सामने आने वाले दशकों का agenda तैयार है। आज भारत विश्व की चौथी अर्थव्यवस्था और सबसे युवा देश है। हमारे दर्शन में हमने वसुधैव कुटुम्बकम् को ध्येय वाक्य बनाया है। भारतीय ज्ञान परंपरा की विरासत बहुत पुरानी है। हमें इसे केवल पूजा पद्धति और अभिमान के रूप में नहीं देखना चाहिए, बल्कि वर्तमान की चुनौतियों और भविष्य के प्रवास के हिसाब से analysis और AI modeling करना होगा।

आचार्य आर्यभट और स्वामी विवेकानंद जैसे हमारे ज्ञानविदों ने अपने ज्ञान से दुनिया को न केवल वैज्ञानिक मूल्य, बल्कि समावेशी जीवन पद्धति भी दी है। यही भारतीय दर्शन है। इसी दर्शन को आगे बढ़ाते हुए पीएम मोदी जी कहते हैं कि युद्ध समाधान नहीं है। NEP 2020 के क्रियान्वयन में इसी मूल दर्शन को आधार बनाते हुए, हमारे महापुरुषों की ज्ञान संपदा को आज के समय से correlate करते हुए, भविष्य के प्रवाह में युवाओं और समाज को प्रभावित करना दार्शनिकों का काम है।

जब हमारे आज के दार्शनिक समूह 21वीं सदी में भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित वसुधैव कुटुम्बकम् के भाव को आज का प्रासंगिक narrative बनाएँगे, तभी NEP 2020 की सार्थकता सिद्ध होगी। मैं ICPR से आशा करता हूँ कि वे भारतीय दर्शनों को आज के आधार पर, समय की कसौटी के अनुरूप, भविष्य के मार्ग के लिए तैयार करें और इस ज्ञान मंथन के अमृत से देश को समृद्ध करें।

-श्री धर्मेन्द्र प्रधान, माननीय मंत्री, शिक्षा मंत्री, भारत सरकार, नई दिल्ली

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