बच्चो के बेहतर भविष्य पर मंडराता संकट
जहाँ देश में गरीबी की बात करें तो यह पहले से ही एक बड़ी समस्या बनी हुई है।किंतु पिछले वर्ष और एक बार फिर वैश्विक महामारी को कोविड -19 के वजह से बढती गरीबी ने लोगों के जीवन स्तर को गिरा दिया है ं, जो पहले की तरह नहीं रहा बच्चे शिक्षा से दूर हो रहें हैं और लगातार शिक्षा से दूर होना उनके भविष्य के ऊपर काले बादल के तरह मंडराने जैसा प्रतीत होता है।जो उनके मस्तिष्क का भोजन हैं, वो बच्चे जो गरीब परिवार से आतें हैं | उन्हें और भी इस समस्या से गुजरना होता है, सरकारी स्कूल न खुलने के वजह से ईधर- उधर भटकते नजर आते हैं. स्कूल के इंतजार के अलावे उनके पास कोई और उपाय हैं भी नहीं ,ये बच्चे जब सरकारी स्कूल के भरोसे अपनी शिक्षा को छोड़ रहे हैं मनुष्य के पेट लिए जितनी जरूरी भोजन है उतनी ही मस्तिष्क के लिए शिक्षा है |
वही इस महामारी का असर बच्चे ही नहीं स्कूल ,कॉलेज -यूनिवर्सिटी के छात्रों की शिक्षा प्रभावित हुई है ऐसे में अगर बार- बार कोइ- न- कोई वायरस/ बीमारी आती रहे तो शिक्षा की स्थिति और भी खराब हो सकती हैं यह विचाणीय है ऐसे में शिक्षा को ऑनलाइन संचालित करना विकल्प है किंतु गरीबी का दंश झेल रहे बच्चे/ छात्रों की समस्या पर भी गौर करना आवश्यक है ताकि हर वर्ग समुदाय शिक्षित हो सके कई प्राइवेट स्कूल जूम और माइक्रोसॉफ्ट इन जैसे प्लेटफार्म के जरिए पढ़ा रहे हैं वहीं प्राप्त जानकारी के अनुसार ऑनलाइन क्लासेस के सेटअप के लिए जरूरी सामान चाहिए होते हैं अन्यथा पढ़ाई में कई प्रकार की बाधा का सामना करना पड़ सकता है ऑनलाइन क्लासेस के लिए पास कंप्यूटर, टेबलेट ,लेपटॉप प्रिंटर राउटर जैसे चीजें जरूरी होते हैं वहीं आर्थिक रूप से कमजोर स्कूली बच्चों की परेशानी इन सब उपकरणों के अभाव में शिक्षा से दूर होते जा रहे हैं हालांकि डिजिटल लर्निंग प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल से पढ़ाई को सरकार द्वारा लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है गांव में रहने वाले लोगों की समस्या स्मार्टफोन होने के बाद भी नेटवर्क कनेक्टिविटी की समस्या रहती है| सरकार के द्वारा चलाई जा रही अनेक मुफ्त ऑनलाईन सुविधाएं दी जा रही है लेकिन ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी बहुत कम है सरकार को चाहिए कि इनकी समस्या को देखते हुए समुचित उपाय हेतु कदम उठाये।
कौस्तुभा
अर्थशास्त्र
बी.एन.एम.यू, मधेपुरा