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BNMU संबद्ध डिग्री महाविद्यालयों द्वारा शिक्षा विभाग में होगा पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन। ऑनलाइन समीक्षा बैठक आज

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संबद्ध डिग्री महाविद्यालयों द्वारा शिक्षा विभाग में होगा पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन
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ऑनलाइन समीक्षा बैठक सोमवार को

निदेशक (उच्च शिक्षा), शिक्षा विभाग, बिहार सरकार, पटना के के पत्र के आलोक में सभी संबद्ध डिग्री महाविद्यालयों द्वारा शिक्षा विभाग, नया सचिवालय, पटना में पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन (पीपीटी) दिया जाना है। कुलपति प्रो. (डॉ.) राजनाथ यादव ने सभी संबंधित महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों को निदेशित किया है कि इस मामले को पूरी गंभीरता से लेते हुए पीपीटी को जिम्मेदारीपूर्वक तैयार किया जाए‌। जहां भी आवश्यकता हो विशेषज्ञों की मदद भी ली जा सकती है।

उपकुलकचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि कुलपति के निदेशानुसार पीपीटी की तैयारियों की समीक्षा हेतु 25 सितंबर, 2023 (सोमवार) को अ. 03 बजे से डीएसडब्ल्यू प्रो. (डॉ.) राजकुमार सिंह की अध्यक्षता में ऑनलाइन समीक्षा बैठक आयोजित की गई है।

*उच्च शिक्षा विभाग के नामित पदाधिकारियों के समक्ष होगा पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन*

उन्होंने बताया कि बीएनएमयू के 14 संबद्ध महाविद्यालयों का पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन (पीपीटी) 26-30 सितंबर के बीच अ. 05 बजे से उच्च शिक्षा विभाग, बिहार सरकार के सभागार में उच्च शिक्षा विभाग के नामित पदाधिकारियों के समक्ष सुनिश्चित है। इसके लिए उ. निदेशक दिवेश कुमार चौधरी, उ. निदेशक विभा कुमारी, निदेशक प्रो. रेखा कुमारी, सचिव वैद्यनाथ यादव, उ. निदेशक दीपक कुमार एवं विशेष सचिव सतीशचन्द्र झा के नाम निर्धारित हैं।

*26-30 सितंबर तक निर्धारित है पीपीटी*

उन्होंने बताया कि सबसे पहले 26 सितंबर को एकमात्र यूभीके कॉलेज, कडामा-मधेपुरा का पीपीटी होगा। तदुपरांत 27 सितंबर को 10 महाविद्यालयों का पीपीटी होना है। इनमें सीएम साइंस कॉलेज, मधेपुरा, आदर्श कॉलेज, घेलाड़-मधेपुरा, एसपीएम लॉ कॉलेज, मधेपुरा, के. बी. वीमेंस कॉलेज, मधेपुरा, मधेपुरा कॉलेज, मधेपुरा, डिग्री कॉलेज, सुपौल, लक्ष्मीनाथ कॉलेज, बनगांव-सहरसा, बीएस कॉलेज, सिमराहा-सहरसा, ए. एल. वाई. कॉलेज, त्रिवेणीगंज-सुपौल एवं एस. एन. एस. महिला कॉलेज, सुपौल के नाम शामिल हैं। इसके अलावा 29 सितंबर को के. एन. डिग्री कॉलेज, राघोपुर-सुपौल एवं आर. पी. एम. कॉलेज, तुनियाही-मधेपुरा और 30 सितंबर को एस. ए. के. एन. डी. कॉलेज, मधेपुरा का पीपीटी होना है।

*पीपीटी के बाद ही जारी होगा अनुदान*
उन्होंने बताया कि पीपीटी के लिए कई महत्वपूर्ण निदेश प्राप्त हुए हैं। तदनुसार एक ही तिथि का जीपीएस मैप कैमरा (सॉफ्टवेयर) से खींचे गए सभी वर्ग कक्षों में संचालित वर्ग-कक्ष का फोटो पीपीटी में लगाना है। यही महाविद्यालय में वास्तविक छात्रोपस्थिति का साक्ष्य होगा। पीपीटी में पिछले एक सप्ताह का तिथिवार एवं विषयवार छात्र/छात्रा की उपस्थिति दर्ज करनी है।
पीपीटी के समय शासी निकाय/ ऐड-हॉक कमिटी के सभी सदस्य उपस्थित होंगे। पीपीटी के बाद ही विश्वविद्यालय द्वारा विभाग से सहमति प्राप्त कर संबद्ध महाविद्यालयों को अनुदान मुक्त किया जाएगा।

*दुबारा भेजा गया पत्र*
उन्होंने बताया कि कुलसचिव प्रो. (डॉ.) मिहिर कुमार ठाकुर ने गत 19 सितंबर को ही सभी संबंधित महाविद्यालयों को इससे संबंधित पत्र प्रेषित किया जा चुका है। पत्र में अनुरोध किया गया है कि तालिका मे निर्धारित कार्यक्रमानुसार निर्धारित तिथि को ससमय विभागीय प्रतिनियुक्त पदाधिकारी के समक्ष शिक्षा विभाग के सभागार में पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन सुनिश्चित किया जाए। कुलपति के निदेशानुसार सभी संबंधित महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों को यह पत्र रविवार को दुबारा ई. मेल एवं वाट्सएप से भेजा गया है। इसके साथ ही सोमवार को निर्धारित ऑनलाइन बैठक की सूचना भी प्रेषित की गई है। इस बैठक में सभी संबंधित प्रधानाचार्यों को अपने तकनीकी विशेषज्ञों के साथ उपस्थित होना अनिवार्य है।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

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