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BNMU शोध कौशल विकास पर आधारित कार्यशाला का उद्घाटन 20 मई, 2024 को

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स्नातकोत्तर मनोविज्ञान विभाग में 20 मई से 25 मई तक आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला जो कि शोध कौशल विकास पर आधारित है उस की पूरी तैयारी कर ली गई है। कार्यशाला के निदेशक प्रो डॉ एम आई रहमान ने बताया कि शुभारंभ समारोह सत्र में भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो डॉ विमलेंदु शेखर झा जो कि इस कार्यशाला के संरक्षक भी हैं ने मुख्य अतिथि के लिए सहमति दे दी है। कार्यक्रम 11 बजे प्रारंभ होगा। बीज भाषण देने के लिए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर शमीम अहमद अंसारी अलीगढ़ से पहुंच चुके हैं। माननीय अतिथियों के रूप में प्रो डॉ अशोक कुमार, संकायाध्यक्ष सामाजिक संकाय, प्रो डॉ राजीव कुमार मल्लिक, संकयाध्यक्ष मानविकी संकाय, प्रो डॉ अरुण कुमार, संकायाध्यक्ष विज्ञान संकाय, डा अशोक कुमार, संकायाध्यक्ष वाणिज्य, प्रो डॉ नवीन कुमार अध्यक्ष छात्र कल्याण और प्रो डॉ नरेश कुमार, निदेशक आई क्यू ए सी मंचासिन रहेंगे।

संयोजक समिति के सदस्यों के साथ बैठक करते हुए रिसोर्स पर्सन पर भी सहमति व्यक्त की गई। रिसोर्स पर्सन के रूप में प्रो डॉ अनीस अहमद, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा, पटना विश्वविद्यालय से डॉ निधि सिंह, भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय से प्रो डॉ नरेंद्र श्रीवास्तव, प्रो डॉ एम आई रहमान, डा अशीम रॉय शामिल होंगे वहीं मगध विश्वविद्यालय से डॉ मीनाक्षी, भागलपुर विश्वविद्यालय से प्रो डॉ नेसार अहमद, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय से डॉ अरमान अली शोधार्थियों को प्रशिक्षित करेंगे। केंद्रीय विशवविद्यालय दक्षिणी बिहार के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ धर्मेन्द्र कुमार सिंह, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी के प्रो डॉ बी के सिंह और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की ख्याति प्राप्त वरिष्ठ प्रो डॉ नशीद इम्तेयाज ऑनलाइन सहभागियों को प्रशिक्षित करेंगी।

आयोजित कार्यशाला ऑनलाइन एवं ऑफलाइन मोड में संचालित होगा जिसकी सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। बिहार, झारखंड, उत्तरप्रदेश, वेस्ट बंगाल, दिल्ली और कश्मीर से भी शोधार्थी सहभागी बने हैं।

इस कार्यशाला का समापन 25 मई को होगा और इस समापन समारोह में भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के पूर्व प्रति कुलपति एवम् जय प्रकाश विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो डॉ फारुक अली सम्मिलित होंगे। कार्यशाला को सफल बनाने में आयोजन समिति के सदस्यों काजल कुमारी, मंजिदा फारुकी, सुप्रभा भारती, श्रुति सुमन, प्रीति कुमारी, मुकेश कुमार, यतेंद्र कुमार निराला और बिट्टू कुमार लगे हुए हैं।

ऑनलाइन लिंक :

https://meet.google.com/zkt-fqqj-ctb

लाइव प्रसारण : YouTube.com/bnmusamvad

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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