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BNMU : शिक्षक दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन

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शिक्षक की समाज एवं राष्ट्र के निर्माण में महती भूमिका है। दिवस बहुत हैं, लेकिन शिक्षक दिवस का खास महत्व है। यह दिवस अपने जीवन-निर्माताओं को याद करने शिक्षक पैदा नहीं होते हैं, बल्कि बनाए जाते हैं। यह बात विश्वविद्यालय मनोविज्ञान विभाग के प्राध्यापक एवं अकादमिक निदेशक प्रोफेसर एम आई रहमान ने कही।

वे पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन् के जन्मदिवस सह शिक्षक दिवस पर आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि के रुप में बोल रहे थे। यह आयोजन शनिवार को शिक्षाशास्त्र विभाग में किया गया।

उन्होंने कहा कि भारत में कई महान लोग पैदा हुए हैं। राधाकृष्णन् उनमें से एक चमकते सितारे हैं। आज राधाकृष्णन् के विचारों को दुनिया मान रही है। राधाकृष्णन् ने हमें आदर्श जीवन जीने की कला बताई।

उन्होंने कहा कि कलम की ताकत तलवार से अधिक है। हम तलवार भी कलम से ही लिख सकते हैं। हम चाहते हैं कि सभी लोगों के हाथों में कलम हो। हम कलम से ही दुनिया को जीत सकते हैं।

उन्होंने कहा कि मां सबसे बड़ी शिक्षक होती है। मां की गोद दुनिया की पहली पाठशाला है। शिक्षक दिवस का दिन मां को भी याद करने का दिन है।

उन्होंने कहा कि जो भी शिक्षक राष्ट्रपति हुए उन्होंने अच्छा काम किया इसमें हम राधाकृष्णन्, जाकिर हुसैन एवं डॉ. कलाम को देख सकते हैं। शिक्षक ही राष्ट्रपति रूपी सर्वोच्च पद के सच्चे अधिकारी हो सकते हैं। राष्ट्रपति का पद शिक्षक के लिए आरक्षित होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि आज कुछ संस्कार में कमी आई है। कुछ शिक्षक में भी कंमी आई है और विद्यार्थियों में भी।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए शिक्षाशास्त्र विभाग के प्रोफेसर इंचार्ज प्रोफेसर डा. नरेश कुमार ने कहा कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन और भारत के पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने शिक्षकों को सबसे ऊंचा दर्जा दिया। क्योंकि शिक्षक सृजन करता है। सृजनशीलता शिक्षक के रग-रग में होती है।

उन्होंने कहा कि हर एक व्यवस्था में गुण-दोष होता है। लेकिन हमें उसमें बेहतर करने की कोशिश करनी चाहिए। हमें कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए। जो भी व्यवस्था मिली है, उसे बेहतर बनाने का प्रयास किया।

उन्होंने कहा कि शिक्षक मोमबत्ती की तरह होते हैं। वे खुद जलकर समाज में उजाला फैलाते हैं। शिक्षक चाहते हैं कि उनका विद्यार्थी उनसे भी बड़ा बने और उनसे भी आगे जाएं।

उन्होंने कहा कि शिक्षकों को सभी विद्यार्थियों के साथ समान बर्ताव करना चाहिए। विद्यार्थियों को आगे बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि हमारे शिक्षकों को सम्मान चाहिए, पैसा नहीं।बेहतर शिक्षक को हमेशा सम्मान मिलता है। छात्र और शिक्षक मिलकर बेहतर देश का निर्माण कर सकते हैं। जब छात्र बेहतर करेंगे, तब शिक्षक को सम्मान मिलेगा।

उन्होंने कहा कि शिक्षक बेहतर होगा, तो पूरा समाज बेहतर होगा। बेहतर इंजीनियर, बेहतर डाक्टर, बेहतर प्रशासनिक अधिकारी सभी के निर्माण की जिम्मेदारी शिक्षक पर ही है।

उन्होंने विद्यार्थियों से अपील की कि वे लॉकडाउन के बाद क्लास रूम में आएँ। जब आप क्लासरूम में आएंगे, तभी शिक्षक को समझ पाएंगे। ऑनलाइन माध्यम से आप किताबी ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन शिक्षक को समझ नहीं सकते। उसके आचरण एवं व्यवहार को नहीं जान सकते हैं। इस अवसर पर हिंदी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सिद्धेश्वर कश्यप ने कहा कि आज फिर बीएन मंडल विश्वविद्यालय के शिक्षक एवं छात्र बेहतर कर रहे हैं। हमारे शिक्षकों ने राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धियां प्राप्त की हैं। राष्ट्रीय स्तर हमारे शिक्षकों की पहचाध है। हमारे विद्यार्थियों ने भी नेट सहित कई परीक्षाओं में सफलता प्राप्त की हैं।

जनसंपर्क पदाधिकारी डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि प्राथमिक से लेकर विश्वविद्यालय तक सभी शिक्षकों का वेतन समान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम शिक्षण को शौक से चुनें, मजबूरी में नहीं। जब हमारे स्कूल के टॉपर डाक्टर, इंजीनियर एवं आईएएस के साथ-साथ शिक्षक बनने का लक्ष्य रखेंगे, अभी सही मायने में शिक्षण का पेशा सम्मानित माना जाएगा।

इस अवसर पर एम. एड. विभागाध्यक्ष डॉ. बुद्धप्रिय, शिक्षक डॉ. पवन कुमार पाल, मिथिलेश कुमार, नेहा कुमारी, गौरब कुमार सिंह कुमार आदि उपस्थित थे।

संचालन नीरज कुमार ने किया। धन्यवाद ज्ञापन एम. एड. विभागाध्यक्ष डॉ. ललन प्रकाश सहनी ने किया। छात्र केशव कुमार ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया।

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