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BNMU विचारों में है राष्ट्रीय एकता एवं विश्वबंधुता का सूत्र

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*धार्मिक शिक्षाओं की गलत व्याख्या से विश्वशांति खतरे में*

*याद किए गए विवेकानंद*

स्वामी विवेकानंद ने 11 सितंबर, 1883 को शिकागो (अमेरिका) में आयोजित विश्व धर्म सम्मेलन में युगांतकारी भाषण दिया था। इस ऐतिहासिक अवसर के 128 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में जगह-जगह स्वामी विवेकानंद को याद करने का सिलसिला जारी है। इसी कड़ी में शनिवार को रामकृष्ण सेवा आश्रम, मुजफ्फरपुर द्वारा एक ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया गया। इसका मुख्य विषय ‘विश्वधर्म सम्मेलन में पठित हिंदू धर्म पर आलेख’ था।

कार्यक्रम में भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के जनसंपर्क पदाधिकारी डॉ. सुधांशु शेखर ने भी सक्रिय भागीदारी निभाई।

डाॅ. शेखर ने बताया कि वेबिनार में विभिन्न वक्ताओं ने विश्वधर्म सम्मेलन के बहाने विवेकानंद को याद किया और कहा कि इस सम्मेलन की चर्चा के बगैर विवेकानंद की चर्चा अधूरी है। वक्ताओं ने कहा कि विवेकानंद ने इस सम्मेलन में अपने संबोधन “मेरे अमेरिकी बहनों एवं भाइयों” के साथ उपस्थित लोगों का दिल जीत लिया था।

कार्यक्रम की अध्यक्षता आईसीपीआर के अध्यक्ष प्रोफेसर डाॅ. रमेशचन्द्र सिन्हा ने विवेकानंद के सार्वभौम धर्म संबंधी अवधारणा को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि धार्मिक झगड़ों की मुख्य वजह धर्मिक शिक्षाओं की गलत समझ एवं व्याख्या है। धर्मों की गलत समझ के कारण जगह-जगह सांप्रदायिक तनाव कायम है और विश्वशांति पद खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में विवेकानंद के सार्वभौम धर्म संबंधी विचारों की प्रासंगिकता बढ़ गई है।

उन्होंने कहा कि विवेकानंद के विचारों में राष्ट्रीय एकता एवं विश्वबंधुता के सूत्र निहित हैं। यदि हम विवेकानंद की तरह सभी धर्मों की मूल भावनाओं को समझें और उसे मानवता के व्यापक हित के संदर्भों में व्याख्यायित करें, तो धार्मिक वैमनस्य एवं आतंकवाद का अंत हो जाएगा। हमें यह याद रहे कि स्वीकार्यता, सहिष्णुता एवं समभाव की भावना से ही न्याय, शांति एवं विकास का मार्ग प्रशस्त होगा।

अतिथियों का स्वागत सचिव स्वामी भावात्मानंद महाराज ने किया। उन्होंने लोगों में जनकल्याण की भावना जागृत करने और विवेकानंद के विचारों को जन-जन तक पहुँचाने पर बल दिया।

कार्यक्रम में पटना विश्वविद्यालय, पटना में दर्शनशास्त्र विभाग की पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर डाॅ. पूनम सिंह, बी. एन. कॉलेज, पटना के डाॅ. राजेश सिंह एवं असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ. अंकुर ओझा ने विषय के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर पटना विश्वविद्यालय की डॉ. आकांक्षा, श्रीनारायण सिंह, एसपी सिंह एवं अन्य उपस्थित थे।

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