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BNMU मार्गदर्शन एवं उत्प्रेरण केन्द्र में 22 जनवरी, 2024 से संचालित होंगी कक्षाएं।

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मार्गदर्शन एवं उत्प्रेरण केन्द्र में 22 जनवरी, 2024 से संचालित होंगी कक्षाएं।
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मुख्यमंत्री व्यवसायिक पाठ्यक्रम मार्गदर्शन एवं उत्प्रेरण केंद्र में दूसरे बैच के लिए निर्धारित 120 सीटों पर नामांकन पूरा कर लिया गया है। कुलपति प्रो. राजनाथ यादव के आदेशानुसार सोमवार (22 जनवरी, 2024) से ऑफलाइन-ऑनलाइन कक्षाएं शुरू होंगी।

कुलसचिव प्रो. मिहिर कुमार ठाकुर ने बताया कि शीतकालीन सत्र में नामांकन प्रक्रिया पूरी कर ली गई है और तत्काल शिक्षाशास्त्र विभाग में ऑफलाइन मोड में कक्षाओं का संचालन किया जाएगा।

*मिलेगी तीन हजार रुपए प्रोत्साहन राशि*
उपकुलकचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि यह केंद्र बिहार राज्य पिछड़ा वर्ग एवं अतिपिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम, पटना द्वारा संचालित हो रहा है। इसमें विद्यार्थियों को इनईटी, जीएटीई, जेआरएफ, पीएचडी आदि प्रतियोगिता परीक्षाओं में चयनित होने के लिए परीक्षा पूर्व निशुल्क प्रशिक्षण (कोचिंग) की
व्यवस्था है। इसका उद्देश्य शुरुआत उच्च शैक्षणिक संस्थानों में शैक्षणिक पदों पर नियुक्ति में पिछड़ा वर्ग एवं अत्यंत पिछड़ा वर्ग की भागीदारी बढ़ाना है।

उन्होंने बताया कि केन्द्र में कुल 120 छात्र -छात्राओं का दो बैच (प्रशिक्षण अवधि 06 माह) संचालित है। इन सभी विद्यार्थियों को आई. कार्ड दिया जाएगा और उनकी बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज होगी। निर्धारित 75 प्रतिशत उपस्थिति पूरा करने वाले विद्यार्थियों को तीन हजार रुपए प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।

*जिला प्रशासन का भी सहयोग*
जिला कल्याण पदाधिकारी रामकृपाल प्रसाद ने बताया कि बीएनएमयू में बिहार सरकार द्वारा संचालित मुख्यमंत्री व्यावसायिक पाठ्यक्रम प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन केंद्र बेहतर तरीके से संचालित हो रहा है। शीघ्र ही केंद्र में विद्यार्थियों के लिए एक प्रेरणा-सत्र का भी आयोजन किया जाएगा।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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