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BNMU मार्गदर्शन एवं उत्प्रेरण केन्द्र में नामांकन हेतु जमा हुए 30 आवेदन

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मार्गदर्शन एवं उत्प्रेरण केन्द्र में नामांकन हेतु जमा हुए 30 आवेदन
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मुख्यमंत्री व्यवसायिक पाठ्यक्रम मार्गदर्शन एवं उत्प्रेरण केंद्र में नामांकन हेतु शुक्रवार तक तीस आवेदन पत्र जमा हो गया है। विद्यार्थियों की सुविधा के लिए पुराना हिंदी विभाग के अलावा सामान्य शाखा में भी आवेदन पत्र जमा करने की व्यवस्था की गई है।

*व्यापक प्रचार-प्रसार*
कुलपति प्रो. आर. के. पी. रमण ने गत 17 फरवरी को संपन्न हुई अधिषद् की बैठक में दिए गए अध्यक्षीय अभिभाषण में भी इस केंद्र को अपनी एक उपलब्धि बताया था। उनके आदेशानुसार केंद्र में अधिकाधिक विद्यार्थियों के नामांकन हेतु व्यापक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है और जगह-जगह बैनर-पोस्टर लगाया गया है। विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर भी इसकी सूचना दी गई है। इसके अलावा सभी विभागाध्यक्षों एवं प्रधानाचार्यों को पत्र प्रेषित कर छात्र-छात्राओं को इस केंद्र में नामांकन कराने हेतु प्रेरित करने और निःशुल्क आवेदन उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया है।‌

*प्रतिभाओं को मिलेगा अवसर*
कुलपति ने बताया कि इस केंद्र की शुरुआत बिहार सरकार के अंतर्गत संचालित बिहार राज्य पिछड़ा वर्ग एवं अतिपिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम, पटना द्वारा उच्च शैक्षणिक संस्थानों में शैक्षणिक पदों पर नियुक्ति में पिछड़ा वर्ग एवं अत्यंत पिछड़ा वर्ग की भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से की गई है।इसमें विद्यार्थियों को इनईटी, जीएटीई, जेआरएफ, पीएचडी आदि प्रतियोगिता परीक्षाओं में चयनित होने के लिए परीक्षा पूर्व निशुल्क प्रशिक्षण (कोचिंग) की
व्यवस्था है।
*28 फरवरी, 2023 तक आवेदन आमंत्रित*
कुलसचिव डॉ. मिहिर कुमार ठाकुर ने बताया कि 28 फरवरी, 2023 तक आवेदन स्वीकार किया जाएगा।फिलहाल यह केंद्र पुराने स्नातकोत्तर हिंदी विभाग में प्राक् प्रशिक्षण केंद्र के साथ चलेगा। विद्यार्थी यहां स्वयं आकर भी आवेदन जमा करा सकते हैं। निबंधित डाक से भी आवेदन निदेशक, मुख्यमंत्री व्यावसायिक पाठ्यक्रम मार्गदर्शन एवं उत्प्रेरण केंद्र, पुरानी हिंदी विभाग, ओल्ड कैम्पस, भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, लालूनगर मधेपुरा-852113 (बिहार) के नाम भेजा जा सकता है।

*कुल 60 सीटों पर होगा नामांकन*
डीएसडब्ल्यू डॉ. राजकुमार सिंह ने बताया कि केन्द्र में कुल 60 छात्र -छात्राओं का एक बैच 06 माह के लिए संचालित किया जाएगा। कुल उपलब्ध सीटों (60) में से 40 प्रतिशत (24) पिछड़ा वर्ग तथा 60 प्रतिशत (36) अति पिछड़ा वर्ग के छात्र-छात्राओं के लिए अनुमान्य है। दोनों कोटियों में छात्राओं के लिए 33 प्रतिशत छैतिज आरक्षण की व्यवस्था है।
*दो मार्च को होगी समीक्षा बैठक*
उप कुलसचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि केंद्र में नामांकन के लिए प्राप्त आवेदनों की समीक्षा हेतु दो मार्च को एक बैठक आयोजित की जाएगी।

*जिला प्रशासन का भी सहयोग*
जिला कल्याण पदाधिकारी रामकृपाल प्रसाद ने बताया कि बीएनएमयू सहित बिहार सरकार ने राज्य के छ: विश्वविद्यालयों में मुख्यमंत्री व्यावसायिक पाठ्यक्रम मार्गदर्शन एवं उत्प्रेरण केंद्र की स्वीकृति प्रदान की है। इसका लाभ आम छात्रों तक पहुंचाने हेतु जिला प्रशासन की ओर से भी प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। जिला प्रशासन की ओर से केंद्र को हरसंभव सहायता की जाएगी।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

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