*पीएच डी थीसिस में कट एंड पेस्ट बरदाश्त नहीं : कुलपति
*शोध को समझना और परखना आवश्यक : प्रो डॉ शमीम अहमद अंसारी
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शोध पर आधारित राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ समारोह स्नातकोत्तर मनोविज्ञान विभाग में आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि प्रो डॉ विमलेंदु शेखर झा, कुलपति भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय ने अपने अध्यक्षीय भाषण में शोध के विभिन्न आयामों की चर्चा करते हुए शोधार्थियों को आगे आने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि शोध में सफलता तभी मिलती है जब हम स्वयं को शोध में लीन कर देते हैं। शोध के लिए कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास की जरूरत होती है। उन्होंने अपने भाषण में स्पष्ट रूप से कहा कि अब शोध में नकल का दौर समाप्त है, कट एंड पेस्ट किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं। शोधार्थी आयोजित कार्यशाला में शोध के तकनीकों को सीखें और अपने भविष्य को उज्जवल करें। बीज भाषण देते हुए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर शमीम अहमद अंसारी ने कहा कि शोध एक प्रक्रिया है और हमें संयम के साथ इसे करना चाहिए। समाज और देश का उत्थान शोध और आविष्कारों से ही संभव है। शोध के लिए शोधार्थियों को स्वयं को तैयार करना होगा और लीन होकर कार्य करना होगा तभी सफलता हाथ आएगी।
कार्यशाला के निदेशक प्रो डॉ एम आई रहमान ने विषय प्रवेश करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति2020 की चर्चा की। उन्होंने बताया कि उच्च शिक्षा संस्थानों में शोध पर बहुत अधिक जोर दिया जा रहा है क्यूंकि शोध के माध्यम से ही युवाओं का विकास संभव है। उन्होंने बताया कि इस कार्यशाला में बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, वेस्ट बंगाल, त्रिपुरा, दिल्ली और कश्मीर से शोधार्थी जुड़े हैं। छह दिनों तक विभिन्न रिसोर्स पर्सन द्वारा उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा। भारत के केन्द्रीय विश्वविद्यालयों और बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों से रिसोर्स पर्सन्स अपनी सेवा देंगे और सहभागियों को प्रशिक्षित करेंगे।
कार्यशाला को प्रो डॉ अरुण कुमार संकायध विज्ञान, प्रो डॉ राजीव कुमार मल्लिक संकायाध्यक्ष मानविकी, प्रो नवीन कुमार अध्यक्ष छात्र कल्याण एवम् प्रो डॉ नरेश कुमार निदेशक आई क्यू ए सी ने भी संबोधित किया। कॉन्फ्रेंस हॉल में शोधार्थियों की भारी संख्या मौजूद थी।
दूसरे सत्र में मिथिला विश्वविद्यालय के प्रो डॉ अनीस अहमद ने सहभागियों को शोधपत्र लेखन विधि की जानकारी दी एवम् मगध महिला महाविद्यालय पटना यूनिवर्सिटी की डा निधि सिंह ने ऑनलाइन शोध समस्या और पूर्वकल्पना के संबंध में व्यज्ञनिक दृष्टिकोण से प्रकाश डाला और शोधार्थियों को वैज्ञानिक शोध करने के लिए प्रेरित किया।