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BNMU नैक मूल्यांकन के कार्यों में गतिशीलता हेतु है इआरपी लागू करने की योजना

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*नैक मूल्यांकन के कार्यों में गतिशीलता हेतु है इआरपी लागू करने की योजना*

भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा और इसके सभी अंगीभूत एवं सम्बद्ध महाविद्यालयों में उद्यम संसाधन योजना अर्थात् एंटरप्राइज रिसोर्स प्लांनिंग (ईआरपी) का कार्यान्वयन करने की योजना है।

*नौ सदस्यीय समिति का गठन*

जनसंपर्क पदाधिकारी डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि कुलपति प्रो. (डॉ.) आर. के. पी. रमण के आदेशानुसार ईआरपी के सभी पहलुओं एवं इससे जुड़े सभी मामलों पर सम्यक् विचार हेतु एक नौ सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। इसमें डीएसडब्लू प्रो. (डॉ.) पवन कुमार को अध्यक्ष और कुलसचिव प्रो. (डॉ.) मिहिर कुमार ठाकुर को सदस्य- सचिव की जिम्मेदारी दी गई है। समिति में वित्त पदाधिकारी डॉ. अरुण कुमार झा के अलावा बी. एस. एस. कॉलेज, सुपौल के प्रधानाचार्य प्रो. (डॉ.) संजीव कुमार, एच. पी. एस. कॉलेज, निर्मली के प्रधानाचार्य प्रो. (डॉ.) उमाशंकर चौधरी, के. पी. कॉलेज, मुरलीगंज के प्रधानाचार्य डॉ. जवाहर पासवान एवं पार्वती विज्ञान महाविद्यालय, मधेपुरा के प्रधानाचार्य प्रो. (डॉ.) अशोक कुमार और मधेपुरा कॉलेज, मधेपुरा के प्रधानाचार्य डॉ. अशोक कुमार एवं यू. वी. के. कॉलेज, कड़ामा-आलमनगर के प्रधानाचार्य डॉ. माधवेन्द्र झा के नाम शामिल हैं।

*क्या है ईआरपी ?*

डॉ. शेखर ने बताया कि उद्यम संसाधन योजना अर्थात् एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग (ईआरपी) एक प्रकार के सॉफ्टवेयर को संदर्भित करता है, जिसके माध्यम से विश्वविद्यालय या कोई भी संस्थान अपने दिन-प्रतिदिन की कार्यों एवं गतिविधियों का प्रबंधन कर सकते हैं। इसके लागू होने से नैक मूल्यांकन कार्यों में गतिशीलता एवं एकरुपता लाने और शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक कार्यों एवं गतिविधियों के सुगम एवं पारदर्शी संचालन में मदद मिलेगी।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

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