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BNMU नवनियुक्त कुलपति का स्वागत समारोह आयोजित

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*नवनियुक्त कुलपति का स्वागत*
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भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, लालूनगर, मधेपुरा के नवनियुक्त कुलपति प्रो. (डॉ.) राजनाथ यादव का स्वागत सह सम्मान समारोह केंद्रीय पुस्तकालय सभागार में आयोजित किया गया।

इस अवसर पर कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों का हित सर्वोपरि है। इसलिए विद्यार्थियों की सभी समस्याओं के समाधान के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे।

कुलपति ने कहा कि सभी पदाधिकारी, शिक्षक एवं कर्मी नियम-परिनियम की जानकारी रखें और उसका समुचित अनुपालन सुनिश्चित कराएं। उन्होंने कहा सभी कार्य विधिसम्मत होना चाहिए और नियम-विरूद्ध कार्य नहीं होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि बीएनएमयू में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों को पूर्णरूपेण लागू किया जाएगा। इसके लिए सबों को इसके विभिन्न पहलुओं की समुचित जानकारी प्राप्त करना आवश्यक है। इसलिए सभी पदाधिकारी, संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, प्रधानाचार्य आदि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विषय में समुचित जानकारी प्राप्त करें और विद्यार्थियों को भी इसकी जानकारी देना सुनिश्चित करें।

उन्होंने कहा कि सभी सत्रों को नियमित किया जाए। सभी विलंबित परीक्षाएँ अविलंब आयोजित हों और ससमय त्रुटिरहित परीक्षाफल का प्रकाशन हो।

उन्होंने कहा कि सभी नियमित वेतनभोगी एवं पेंशनधारियों को नियमित रूप से भुगतान सुनिश्चित किया जाए। सभी शिक्षकों एवं कर्मचारियों को उनका सेवांत लाभ सेवानिवृत्ति के दिन ही सम्मानपूर्वक दिया जाए। विश्वविद्यालय में संचिकाओं का नियम-परिनियम के आलोक में त्वरित निष्पादन किया जाए। किसी भी परिस्थिति में किसी को भी विश्वविद्यालय के कार्यालयों का चक्कर नहीं लगाना पड़े।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रति कुलपति *प्रो. (डॉ.) आभा सिंह* ने कहा कि
हमलोग जीवन में एक आदर्श स्थिति की कल्पना करते हैं। यह ऐसी स्थिति हैं जो कभी प्राप्त ही नहीं होगी। हम इस स्थिति प्राप्ति का प्रयास करते और जब तक हम प्राप्ति तक पहुँचने वाले होते हैं और हमारे सामने में नये आदर्श सामने आ जाते हैं। इस कारण मानव जीवन में हमेशा गत्यात्मकता बनी रहती है।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का प्रशासन, एक नियमित प्रक्रिया है। इसमें विभिन्न प्रशासक आते हैं और विश्वविद्यालय को प्रगति के पथ पर अग्रसर करते हैं। अधूरे कार्यों को आगे के प्रशासक आगे बढ़ाते है।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सबका साथ, सबका प्रयास एवं सबका विश्वास जरूरी होता है, जो हमारे प्रधानमंत्री का मूलमंत्र है। यदि हम इस मंत्र के अनुरूप कार्य करें, तो निश्चित तौर पर समस्याओं का निवारण होगा और हमारी प्रगति भी होगी।

उन्होंने नवनियुक्त कुलपति को शुभकामनाएं दीं और आशा व्यक्त किया कि इनके मार्गदर्शन में विश्वविद्यालय, देश के अग्रणी विश्वविद्यालयों के बीच अपना स्थान बनाने में कामयाब होगा।

इस अवसर पर वित्तीय परामर्शी नरेन्द्र प्रसाद सिन्हा, डीएसडब्ल्यू प्रो. राजकुमार सिंह, कुलानुशासक डॉ. बी. एन. विवेका, सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. अशोक कुमार, मानविकी संकायाध्यक्ष डॉ. विनय कुमार चौधरी, वाणिज्य संकायाध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार, सीसीडीसी डॉ. इम्तियाज अंजूम, सिंडिकेट सदस्य डॉ. जवाहर पासवान, विद्वत परिषद् सदस्य प्रज्ञा प्रसाद, विभागाध्यक्ष डॉ. राणा सुनील सिंह आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम की शुरुआत में विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों, शिक्षकों, कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों के द्वारा कुलपति एवं प्रतिकुलपति को अंगवस्त्रम् एवं पुष्पगुच्छ भेंट कर सम्मानित किया गया। धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव प्रो. मिहिर कुमार ठाकुर ने की।

कार्यक्रम में विकास पदाधिकारी प्रो. (डॉ.) ललन प्रसाद अद्रि, निदेशक (प्रोन्नति कोषांग) प्रो. (डॉ.) अशोक कुमार, वित्त पदाधिकारी अरूण कुमार गुप्ता, परीक्षा नियंत्रक शशिभूषण, एनएसएस पदाधिकारी डॉ. अभय कुमार, निदेशक (खेल) डॉ. अबुल फजल, उप सचिव डॉ. शंकर कुमार मिश्र, उपकुलकचिव (पंजीयन) डॉ. दीनानाथ मेहता, डॉ. अनिल कुमार, डॉ. सदय कुमार, डॉ. सज्जाद अख्तर, उपकुलसचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर, उपकुलकचिव (परीक्षा) डॉ. उपेन्द्र प्रसाद यादव, कुलपति के निजी सहायक शंभू नारायण यादव सहित कई पदाधिकारी, विभागाध्यक्ष, शिक्षक, शिक्षकेत्तर कर्मचारी, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

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