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BNMU दीक्षांत समारोह 3 अगस्त, 2022 को

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*दीक्षांत समारोह 3 अगस्त को*

भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा में चतुर्थ दीक्षांत समारोह तीन अगस्त को होगा। यह जानकारी जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर नै दी। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. आर. के. पी. रमण ने कुलाधिपति फागू चौहान को पत्र भेजकर और उनसे मिलकर भी इसके लिए अनुरोध किया था। कुलपति के प्रस्ताव पर सम्यक् विचारोपरांत कुलाधिपति फागू चौहान ने 3 अगस्त, 2022 की तिथि निर्धारित करने की कृपा की है। इस संबंध मे राज्यपाल सचिवालय, राजभवन, पटना के संयुक्त सचिव प्रवीण कुमार गुप्ता ने पत्र पत्रांक- बीएनएमयू- 07/2012-848/रा. सं . i, दिनांक-18. 06. 2022 के माध्यम से इसकी सूचना दी है।

डा. शेखर ने बताया कि बीएन मंडल विश्वविद्यालय की स्थापना दस जनवरी 1992 को हुई। इसका पहला दीक्षांत कार्यक्रम तत्कालीन कुलपति डॉ. विनोद कुमार के नेतृत्व में 29 जून, 2016 को हुआ था। इसमें तत्कालीन राज्यपाल सह कुलाधिपति रामनाथ कोविंद, जो संप्रति भारत के राष्ट्रपति हैं की गरिमामयी उपस्थित थी। इसके दो वर्षों बाद द्वितीय दीक्षांत समारोह तत्कालीन कुलपति डाॅ. अवध किशोर राय के कार्यकाल में 23 दिसंबर 2018 को हुआ था। इसमें कुलाधिपति सह राज्यपाल लालजी टंडन शामिल थे। इस दौरान पहली बार विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल दिया गया था।

उन्होंने बताया कि तृतीय दीक्षांत समारोह 17 दिसंबर 2019 को हुआ था। इसमें इक्कीस विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक, 40 को पी-एच. डी और 234 को स्नातकोत्तर की उपाधि वितरित की गई थी। इस अवसर पर अपरिहार्य कारणों से राज्यपाल सह कुलाधिपति फागू चौहान की अनुपस्थित में कुलपति डाॅ. अवध किशोर राय ने उनका प्रिंटेड अध्यक्षीय भाषण प्रस्तुत किया था। संप्रति अगस्त में विश्वविद्यालय का चौथा दीक्षांत समारोह आयोजित होने जा रहा है। इसमें राज्यपाल सह कुलाधिपति के आगमन की उम्मीद है।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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