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BNMU आठ संबद्ध महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों से कारणपृच्छा

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*आठ संबद्ध महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों से कारणपृच्छा*

22 सितम्बर (शुक्रवार) को कुलपति प्रो. (डॉ.) राजनाथ यादव की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय केन्द्रीय पुस्तकालय में आयोजित सभी अंगीभूत एवं संबद्ध महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों की बैठक में अनुपस्थित पाए गए 8 प्रधानाचार्यों/प्रभारी प्रधानाचार्यों से कारणपृच्छा की गई है। कुलसचिव प्रो. (डॉ.) मिहिर कुमार ठाकुर के हस्ताक्षर से पत्र जारी कर कहा गया है कि यह एक अत्यंत ही गंभीर मामला है, जो लापरवाही को दर्शाता है। अतः पत्र प्राप्ति के 03 (तीन) दिनों के अंदर अपना स्पष्टीकरण कुलसचिव कार्यालय में समर्पित करें।

उन्होंने बताया कि जिन महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों से कारणपृच्छा की गई है उनमें के. बी. वीमेन्स कॉलेज, मधेपुरा, एस. ए. के. एन. डिग्री कॉलेज, मधेपुरा, बी. एस. आर. के. कॉलेज, सिंहेश्वर, मधेपुरा, देव नन्दनी डिग्री कॉलेज, बखरी- मधेपुरा, राम खेलावन झरीलाल डिग्री कॉलेज, खुरहान-मधेपुरा, ए. एल. वाई. कॉलेज, त्रिवेणीगंज- सुपौल, इवनिंग कॉलेज, सहरसा एवं एल. सी. कॉलेज, पस्तवार-महिषि- सहरसा के प्रधानाचार्य/प्रभारी प्रधानाचार्य शामिल हैं। इन सबों को

*जवाब आने के बाद होगी अग्रेत्तर कार्रवाई*

उपकुलसचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि कारणपृच्छा का जवाब आने के बाद उसे समेकित रूप से कुलपति के समक्ष उपस्थापित किया जाएगा। तदुपरांत आदेशानुसार अग्रेत्तर कार्रवाई की जाएगी।

उन्होंने बताया कि शुक्रवार को प्रधानाचार्यों के साथ कुलपति की पहली बैठक थी। उस बैठक में कुलपति ने विशेष रूप से राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आलोक में राजभवन, पटना के आदेशानुसार विश्वविद्यालय में स्नातक स्तर पर लागू सीबीसीएस पाठ्यक्रम के विभिन्न पहलुओं पर आवश्यक निदेश दिया है। इसके अलावा सभी अंगीभूत एवं संबद्ध महाविद्यालयों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं सीबीसीएस पाठ्यक्रम को केंद्र में रखकर कार्यशाला-सेमिनार आयोजित करने का निदेश दिया गया है।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

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