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BNMU अधिषद् का अधिवेशन 19 मार्च, 2024 को

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अधिषद् का अधिवेशन 19 मार्च को

भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा की अधिषद् (सीनेट) का सामान्य वार्षिक अधिवेशन 19‌ मार्च, 2024 (मंगलवार) को पूर्वाह्न 11:00 बजे से राज्यपाल सह कुलाधिपति राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय प्रशासनिक परिसर अवस्थित प्रेक्षागृह में आहूत है। उपकुलसचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि अधिवेशन के बावत कुलपति प्रो. बी. एस. झा के आदेशानुसार कुलसचिव प्रो. मिहिर कुमार ठाकुर ने अधिसूचना जारी कर दी है। सभी सदस्यों को आमंत्रण प्रेषित कर दिया गया है और उनसे 7 मार्च तक‌ प्रश्न आमंत्रित किया गया है।

उन्होंने बताया कि बैठक की प्रस्तावित कार्यसूची में कुलपति महोदय द्वारा स्वागत भाषण एवं प्रगति प्रतिवेदन, राज्यपाल-सह-कुलाधिपति महोदय द्वारा अध्यक्षीय अभिभाषण एवं अध्यक्षीय अभिभाषण पर मा. सदस्यों द्वारा चर्चा प्रमुख है।

तदुपरांत अधिषद् की गत बैठक दिनांक 17.02.2023 की कार्यवाही की सम्पुष्टि पर विचार और गत अधिषद् की बैठक दिनांक 17.02.2023 में लिए गए निर्णय के अनुपालन प्रतिवेदन के अनुमोदन पर विचार किया जाना है। इसके अलावा विश्वविद्यालय के वार्षिक प्रतिवेदन 2022-23 के अनुमोदन पर विचार, वित्तीय वर्ष 2022-23 के वास्तविक आय-व्यय लेखा प्रतिवेदन के अनुमोदन पर विचार, वितीय वर्ष 2024-25 के वार्षिक बजट के अनुमोदन पर विचार तथा गत अधिषद् की वार्षिक बैठक दिनांक 17.02.2023 के पश्चात सम्पन्न विभिन्न प्राधिकारों/निकायों/समितियों के कार्यवृत के अनुमोदन पर विचार शामिल है। साथ ही विभिन्न महाविद्यालयों के संबंधन, नवसंबंधन, दीघीकरण, पद सृजन के अनुमोदन पर विचार। माननीय अधिषद् सदस्यों से प्राप्त प्रश्नों के उत्तर का अनुमोदन पर विचार किया जाएगा और दिवंगत शिक्षक, शिक्षकेतर कर्मियों एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों की आत्मा की शांति हेतु शोक प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाएगा।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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