अकादमिक की यादें …
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आदरणीय बड़े भाई प्रोफेसर डॉ. एम. आई. रहमान को उप कुलसचिव (अकादमिक) एवं निदेशक (अकादमिक) के रूप में लगभग साढ़े चार वर्षों के शानदार कार्यकाल के लिए बधाई। मेरा यह सौभाग्य है कि इसमें से लगभग आधे कार्यकाल में जब आप निदेशक (अकादमिक) रहे, तो मुझे भी आपके सानिध्य में उप कुलसचिव (अकादमिक) के रूप में कार्य करने का अवसर मिला।
मालूम हो कि दिसंबर 2018 में तत्कालीन उप कुलसचिव (अकादमिक) डॉ. नरेंद्र श्रीवास्तव के कुलसचिव बनने के बाद आपको उप कुलसचिव अकादमिक का दायित्व दिया गया था, तब आप एसोसिएट प्रोफेसर थे। आगे जब आपकी प्रोन्नति प्रोफेसर के पद पर हो गई, तो तत्कालीन कुलपति डॉ. अवध किशोर राय सर ने तत्कालीन प्रति कुलपति डॉ. फारुक अली सर के आग्रह पर आपको निदेशक (अकादमिक) बनाया।
लेकिन इसके कुछ दिनों बाद ही तत्कालीन कुलपति एवं प्रति कुलपति दोनों के कार्यकाल के पूरा होने का समय नजदीक आ गया और अपने तत्कालीन कुलपति महोदय को आवेदन देकर निदेशक (अकादमिक) के दायित्व से मुक्त करने का अनुरोध किया।
इसके बाद डॉ. अवध सर ने मुझे आपके सहयोग के लिए उपकुलसचिव की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी थी, जिसकी अधिसूचना तत्कालीन कार्यकारी कुलपति डॉ. ज्ञानंजय द्विवेदी सर के कार्यालय में जारी हुई थी। फिर आपने विश्वविद्यालय प्रशासन के आग्रह और मेरे विशेष अनुरोध को स्वीकार करते हुए अपनी नि: स्वार्थ सेवा जारी रखी।
आगे माननीय कुलपति डॉ. आर. के. पी. रमण सर एवं माननीया प्रति कुलपति डॉ. आभा सिंह के संरक्षण और तत्कालीन कुलसचिव डॉ. कपिलदेव प्रसाद एवं वर्तमान कुलसचिव मिहिर कुमार ठाकुर के सहयोग से डॉ. रहमान के निदेशन में पिछले दो वर्षों में अकादमिक शाखा काफी सुदृढ़ हुआ है। हमारी कई उपलब्धियां हैं। इसमें विभिन्न पाठ्यक्रमों को शुरू करने की पहल से लेकर दीक्षांत समारोह के आयोजन तक के कार्य शामिल हैं। कई अकादमिक कार्य और उससे कहीं अधिक गैर अकादमिक कार्य (कुर्सी बिछाने एवं बैनर लगाने से लेकर चाय की कप उठाने तक)
खैर, पिछले माह विश्वविद्यालय के प्रशासनिक कार्यों में गतिशीलता के मद्देनजर मुझे अकादमिक शाखा के दायित्वों से मुक्त कर सामान्य शाखा का दायित्व दिया गया है। आपको स्नातकोत्तर सत्र नियमितीकरण एवं नैक मूल्यांकन आदि कार्यों में आपकी महती उपयोगिता के मद्देनजर निदेशक अकादमिक के दायित्वों से मुक्त करते हुए विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष के रूप में ज्यादा कार्य करने का अवसर मिला है।
इस तरह ढ़ेरों मीठी और कुछ खट्टी यादों के साथ अब हम दोनों अकादमिक शाखा के दायित्वों से मुक्त हो चुके हैं। ये यादें हमारे जीवन की बहुमूल्य धरोहर हैं। वैसे यह ठीक-ठीक याद नहीं आ रहा है कि पहली बार आपसे कब मिला था। लेकिन इतना यह बिल्कुल सच है कि बीएनएमयू में योगदान के कुछ ही दिनों बाद किसी न किसी मोड़ पर मैं आपसे मिला। धीरे-धीरे मुझे आपसे लगाव हो गया और आपकी ओर से भी मुझे अतिरिक्त स्नेह मिलता रहा है।
मैं इस बात को कभी नहीं भूल सकता हूं कि जब तत्कालीन कुलपति महोदय मुझे ओरिएंटेशन कोर्स के लिए छुट्टी नहीं दे रहे थे, तो मैंने फाइल पर लिखा कि कि मेरी अनुपस्थिति में मेरे कार्यों को डॉ. रहमान बखूबी कर सकते हैं। आपने मेरे लिए लगभग एक माह तक पीआरओ का कार्य करना स्वीकार किया और तब जाकर मुझे ओरिएंटेशन कोर्स में भाग लेने की अनुमति मिली।
ऐसी कई बातें हैं, जिसके लिए धन्यवाद एवं आभार जैसे शब्द काफी नहीं हैं। इसके बावजूद पिछले पांच वर्षों की यात्रा और विशेषकर अकादमिक शाखा में कार्य करते हुए बिताए गए दो वर्षों में अपने मुझे जो स्नेह एवं सम्मान दिया है, उसके लिए हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करना मैं अपना परम कर्तव्य समझता हूं। साथ ही ईश्वर से कामना करता हूं कि आपका मार्गदर्शन एवं आशीर्वाद हमेशा बना रहे।
इधर, अकादमिक शाखा की जिम्मेदारी उप कुलसचिव (अकादमी) डॉ. दीपक कुमार गुप्ता, एसोसिएट प्रोफेसर, हिंदी विभाग, एमएलटी कॉलेज, सहरसा और सहायक कुलसचिव (अकादमी) डॉ. सज्जाद अख्तर, असिस्टेंट प्रोफेसर, उर्दू विभाग, केपी कॉलेज, मुरलीगंज-मधेपुरा के कंधों पर है। गुरुवार को इन दोनों नए पदाधिकारियों ने कुलसचिव डॉ. मिहिर कुमार ठाकुर के समक्ष अपना योगदान समर्पित कर दिया है और अकादमिक शाखा में भी कार्यभार ग्रहण कर लिया है।
हमें आशा है कि दोनों पदाधिकारी अकादमिक शाखा के कार्यों के सुचारू संचालन/निष्पादन में सफल होंगे और ‘हमारे’ अधूरे कार्यों को पूरा करने का प्रयास करेंगे।
अंत में मैं पुनः प्रो. (डॉ.) एम. आई. रहमान भाई साहेब के प्रति सादर आभार व्यक्त करता हूं और पुनः दोनों नवनियुक्त पदाधिकारियों को बधाई देता हूं।