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BNMU मार्गदर्शन एवं उत्प्रेरण केन्द्र में नामांकन कराने हेतु विभागाध्यक्षों एवं प्रधानाचार्यों को पत्र

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मार्गदर्शन एवं उत्प्रेरण केन्द्र में नामांकन कराने हेतु विभागाध्यक्षों एवं प्रधानाचार्यों को पत्र
—-
बिहार राज्य पिछड़ा वर्ग एवं अतिपिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम, पटना के
सौजन्य से बीएनएमयू में मुख्यमंत्री व्यवसायिक पाठ्यक्रम मार्गदर्शन एवं उत्प्रेरण केंद्र की
शुरुआत की गई है। इसमें पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग के छात्र-छात्राओं के लिए इन ईटी, जीएटीई, जेआरएफ, पीएचडी आदि प्रतियोगिता परीक्षाओं में चयनित होने के लिए परीक्षा पूर्व निशुल्क प्रशिक्षण (कोचिंग) की
व्यवस्था है।
इस संबंध में कुलपति प्रो. आर. के. पी. रमण के आदेशानुसार कुलसचिव प्रो. मिहिर कुमार ठाकुर ने सभी विभागाध्यक्षों एवं प्रधानाचार्यों को पत्र प्रेषित किया है। पत्र में अनुरोध किया गया है कि कोचिंग संबंधी सूचना को अपने स्तर से प्रचारित प्रसारित कर छात्र-छात्राओं
को इस केंद्र में नामांकन कराने हेतु प्रेरित किया जाए।‌साथ ही छात्र-छात्राओं को कार्यालय के माध्यम से
निःशुल्क आवेदन उपलब्ध कराने तथा उनके आवेदन को अग्रसारित कर निदेशक को प्रेषित करने का कष्ट किया जाए।

*प्रतिभाओं को मिलेगा अवसर*

कुलपति ने बताया कि इस केंद्र की शुरुआत उच्च शैक्षणिक संस्थानों में शैक्षणिक पदों पर नियुक्ति में पिछड़ा वर्ग एवं अत्यंत पिछड़ा वर्ग की भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से की गई है। इससे इस क्षेत्र की प्रतिभाओं को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में आगे आने का अवसर मिलेगा।

*28 फरवरी, 2023 तक आवेदन आमंत्रित*

कुलसचिव डॉ. मिहिर कुमार ठाकुर ने बताया कि केंद्र में नामांकन हेतु 28 फरवरी, 2023 तक आवेदन आमंत्रित किए गए हैं।आवेदन केंद्र या उप कुलसचिव स्थापना कार्यालय से नि: शुल्क प्राप्त किया जा सकता है अथवा निगम की वेबसाइट से डाउनलोड भी किया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि फिलहाल यह केंद्र पुराने स्नातकोत्तर हिंदी विभाग में प्राक् प्रशिक्षण केंद्र के साथ चलेगा। विद्यार्थी यहां स्वयं आकर भी आवेदन जमा करा सकते हैं अथवा निबंधित डाक से भी आवेदन भेज सकते हैं। पता है- निदेशक, मुख्यमंत्री व्यावसायिक पाठ्यक्रम मार्गदर्शन एवं उत्प्रेरण केंद्र, पुरानी हिंदी विभाग, ओल्ड कैम्पस, भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, लालूनगर मधेपुरा-852113 (बिहार)।

*कुल 60 सीटों पर होगा नामांकन*
उप कुलसचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि केन्द्र में कुल 60 छात्र -छात्राओं का एक बैच (प्रशिक्षण अवधि 06 माह) संचालित कराया जाएगा। इसमें प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए कुल उपलब्ध सीटों (60) में से 40 प्रतिशत (24) पिछड़ा वर्ग तथा 60 प्रतिशत (36) अति पिछड़ा वर्ग के छात्र-छात्राओं के लिए अनुमान्य होगा। अति पिछड़ा वर्ग के छात्र-छात्राओं की अनुपलब्धता की स्थिति में पिछड़ा वर्ग के छात्र-छात्राओं को एवं पिछड़ा वर्ग के
छात्र-छात्राओं की अनुपलब्धता की स्थिति में अति पिछड़ा वर्ग के छात्र- छात्राओं का नामांकन किया
जाएगा। दोनों कोटियों में छात्राओं के लिए 33 प्रतिशत छैतिज आरक्षण अनुमान्य है।

उन्होंने बताया कि केंद्र में नामांकन के लिए विद्यार्थियों का चयन संबंधित परीक्षाओं के लिए निर्धारित पाठ्यक्रम
के अनुरूप विषय के बहु-विकल्पीय लिखित परीक्षा या काउंसिलिंग के माध्यम से चयन किया
जाएगा। विद्यार्थियों की आयु सीमा एवं न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता संबंधित कोर्स के अंतर्गत होने वाली
प्रतियोगिता परीक्षा के लिए निर्धारित न्यूनतम अर्हता के अनुरूप होनी चाहिए।छात्र-छात्रा एवं उनके अभिभावक की कुल वार्षिक आय तीन लाख रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिए।

*छ: विश्वविद्यालयों में खुला है केंद्र*
मालूम हो कि बिहार सरकार ने राज्य के छ: विश्वविद्यालयों में मुख्यमंत्री व्यावसायिक पाठ्यक्रम मार्गदर्शन एवं उत्प्रेरण केंद्र की स्वीकृति प्रदान की है। इनमें भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के अलावा पटना विश्वविद्यालय, पटना, पाटलीपुत्र विश्वविद्यालय, पटना, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा एवं भीमराव अम्बेडकर
बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर के नाम शामिल हैं।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

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