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BNMU पराक्रम दिवस। याद किए गए सुभाषचन्द्र बोस

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पराक्रम दिवस समारोह

याद किए गए सुभाषचन्द्र बोस
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राष्ट्रीयता के पर्याय हैं सुभाषचंद्र बोस : प्रधानाचार्य

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में हमारे सैकड़ों महापुरुषों ने भाग लिया। इसमें नेताजी सुभाषचंद्र बोस का नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित है।

यह बात टी. पी. कालेज, मधेपुरा के प्रधानाचार्य डॉ. कैलाश प्रसाद यादव ने कही। वे मंगलवार को सुभाषचंद्र बोस जयंती सह पराक्रम दिवस के अवसर पर अध्यक्ष के रूप में बोल रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) एवं राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।

उन्होंने कहा कि सुभाषचन्द्र बोस राष्ट्रीयता के पर्याय हैं। उन्होंने‌ ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ का नारा देकर भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को नई गति दी।

समारोह के मुख्य अतिथि अर्थपाल मिथिलेश कुमार अरिमर्दन ने कहा कि सुभाषचन्द्र बोस सच्चे राष्ट्रवादी थे। देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। हमें उनके विचारों एवं कार्यों को आगे बढ़ाने की जरूरत है।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए उप कुलकचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि सुभाषचन्द्र बोस एक महान विचारक, वीर योद्धा एवं लोकप्रिय जननेता थे। उनका पराक्रम, त्याग एवं बलिदान हम सबों के लिए प्रेरणादायी है।

उन्होंने कहा कि सुभाष पूरे देश में काफी लोकप्रिय थे। उनकी लोकप्रियता की ही बानगी थी कि महात्मा गांधी के न चाहने के बावजूद वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष निर्वाचित हो गए।

उन्होंने कहा कि सुभाषचन्द्र बोस और गांधी के बीच वैचारिक मतभेद था। इसके बावजूद दोनों एक-दूसरे का सम्मान करते थे। सुभाषचंद्र बोस ने ही सबसे गांधी को राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया और गांधी ने भी सार्वजनिक रूप से सुभाष की देशभक्ति को अतुलनीय बताया।

अतिथियों का स्वागत करते हुए मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. शंकर कुमार मिश्र ने कहा कि आजादी की लड़ाई में योगदान देने वाले महापुरुषों में सुभाषचन्द्र बोस अद्वितीय हैं। उनके बगैर आजादी का इतिहास अधूरा है।

धन्यवाद ज्ञापन करते हुए एनसीसी पदाधिकारी
लेफ्टिनेंट गुड्डू कुमार ने कहा कि भारतीय सेना पर आज भी सुभाषचन्द्र बोस के आजाद‌‌ हिंद फौज की छाप है। हमारे कई बटालियन का नाम उससे संबंधित है।

इसके पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत में सभी अतिथियों एवं विद्यार्थियों ने सुभाषचन्द्र बोस के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें कृतज्ञतापूर्वक याद किया।

इस अवसर पर शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान, अभिषेक राय, खुशी कुमारी, वाणी कुमारी, अलीशा आनंद, भारती कुमारी, देवी कुमारी, अनु कुमारी, चांदनी कुमारी, गोलू कुमारी, निशा कुमारी, बुलबुल यादव, स्वीटी रानी, पूजा कुमारी, अभी नवराज, नित्य रमन, निकिता कुमार, अमृत अंशु, राजनंदन कुमार, दिलकुश कुमार, प्रिंस कुमार, अभिषेक कुमार, रमाकांत कुमार, प्रिंस कुमार, नीरज कुमार, सिंपल कुमार, रमेश कुमार, मुन्ना कुमार, जय कुमार, रवि शंकर कुमार, नरेश कुमार, करण कुमार, आशीष कुमार , अरविंद कुमार , शैलेंद्र कुमार , रंजीत कुमार, विकास कुमार, शिव शंकर ,कुमार सत्यम कुमार, गणेश कुमार, मनखुश कुमार, राम शंकर कुमार, अभी लव कुमार, अंकेश कुमार, प्रिंस कुमार, शुभम कुमार, गुड्डू कुमार, बाबुल कुमार, राहुल राज, नीतीश कुमार, अंशु सिंह, शैलेंद्र कुमार , विक्रम कुमार , गौरव कुमार, नितीश कुमार, रूपम कुमार आदि उपस्थित थे।

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