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BNMU डॉ. शंकर कुमार मिश्र ने लिया उपकुलसचिव के रूप में योगदान।

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भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, लालू नगर ,मधेपुरा के कुलसचिव के ज्ञापांक 478 दिनांक 15 /5/ 2024 के अनुसार उप कुलसचिव (स्थापना) के पद पर डॉ शंकर कुमार मिश्रा को नियुक्त किया गया है ! डॉक्टर शंकर कुमार मिश्रा 2017 बैच के बिहार लोक सेवा आयोग के द्वारा चयनित होकर मनोविज्ञान विषय में भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय में योगदान किए थे lइनको स्नातकोत्तर मनोविज्ञान विभाग का सहायक प्राध्यापक बनाया गया था lटी पी कॉलेज मधेपुरा के मनोविज्ञान विभाग के अध्यक्ष की जिम्मेवारी 12 जनवरी 2022 को दी गई थीl संप्रति टीपी कॉलेज मधेपुरा के मनोविज्ञान विभाग में छात्र-छात्राओं के बीच पठन-पाठन को अत्यधिक बढ़ावा दियाl 27 जनवरी 2024 को परिसंपदा पदाधिकारी के रूप में नियुक्त की गईl परिसंपदा पदाधिकारी के रूप में इन्होंने विश्वविद्यालय की व्यवस्था को बदलने में कारगर साबित हुएl विश्वविद्यालय में उनकी छवि कार्य को त्वरित गति से निष्पादित करने के रूप में अपने आप को स्थापित कर पाएl 15 /5/24 को उप कुलसचिव (स्थापना) के रूप में इनकी नियुक्ति की गई है!

उदयनाचार्य विद्याकर कवि महाविद्यालय करमा आलमनगर से मनोविज्ञान विषय के व्याख्याता के रूप में शिक्षण कार्य शुरू किए थे l कोशी कॉलेज खगड़िया में अतिथि शिक्षक के रूप में भी सफलता पूर्वक कार्य किया lतीन पुस्तकों के लेखक के रूप में जाने जाते हैं तथा राष्ट्रीय जनरल में कई आलेख प्रकाशित हुआ है lविश्वविद्यालय में कई कार्यो को सफलता पूर्वक निभाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रहती हैl राष्ट्रीय सेवा योजना के तहत कार्यक्रम को संचालित करना तथा खेल एवं सांस्कृतिक विभाग को आगे बढ़ाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही हैl

इनके योगदान के समय कुलसचिव कार्यालय में ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय के प्रधानाचार्य ,प्रोफेसर डॉक्टर कैलाश प्रसाद यादव, मनोविज्ञान विभाग के डॉक्टर आनंद कुमार सिंह ,बी एस एस कॉलेज सुपौल के प्रधानाचार्य प्रोफेसर डॉक्टर संजीव कुमार ,जंतु विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर नरेंद्र श्रीवास्तव ,हिंदी विभाग की प्रोफेसर डॉक्टर उषा सिन्हा ,अनूप लाल यादव महाविद्यालय के प्रधानाचार्य प्रोफेसर जयदेव प्रसाद यादव, मनोहर लाल टेकरीवाल महाविद्यालय के प्रधानाचार्य प्रोफेसर डॉक्टर पवन कुमार, सहित कई पदाधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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