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BNMU डॉ. राममनोहर लोहिया प्रतिभा संवर्धन एवं उत्प्रेरण कार्यक्रम का आयोजन।

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*डॉ. राममनोहर लोहिया प्रतिभा संवर्धन एवं उत्प्रेरण कार्यक्रम का आयोजन*
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आजादी के बाद हमारी जनसंख्या काफी बढ़ गई है। लेकिन उस अनुपात में रोजगार के अवसर नहीं बढ़े हैं। ऐसे में आपसी प्रतिस्पर्धा काफी बढ़ गई है और बगैर कठिन परिश्रम एवं लगन के सफलता प्राप्त करना मुश्किल है।

यह बात बीएनएमयू के डीएसडब्ल्यू प्रो. (डॉ.) राजकुमार सिंह ने कही। वे शुक्रवार को विश्वविद्यालय शिक्षाशास्त्र विभाग में आयोजित‌ डॉ. राममनोहर लोहिया प्रतिभा संवर्धन एवं उत्प्रेरण कार्यक्रम का उद्घाटन कर रहे थे। इसमें विद्यार्थियों को सरकार की विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी गई और उनका लाभ उठाने हेतु प्रेरित किया गया।

डीएसडब्ल्यू ने कहा कि सरकार सामाजिक न्याय एवं लोक कल्याण के लिए कई योजनाएं चला रही हैं। हम सबों को आगे बढ़कर इन योजनाओं का लाभ उठाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों का भविष्य उनके अपने हाथों में है। विद्यार्थी को स्वयं मेहनत करके अपना कैरियर बनाना है और समाज के विकास में भी योगदान देना है।

*ज्ञान ही है सबसे बड़ी ताकत*
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए शिक्षाशास्त्र विभाग के प्रोफेसर इंचार्ज डॉ. राजीव कुमार मल्लिक ने कहा कि वर्तमान युग ज्ञान का युग है। आज ज्ञान ही सबसे बड़ी ताकत है। अपने ज्ञान के बल पर हम जीवन में कोई भी लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि ज्ञान हमेशा हमारे काम आता है। यदि हम आज ज्ञान प्राप्त करेंगे, तो वह हमें वह आपको जीवनभर काम देगा। जो लोग विद्यार्थी जीवन में परिश्रम करते हैं, वे जीवनभर सुखी रहते हैं। इसके विपरित जो विद्यार्थी जीवन में लापरवाही बरतते हैं, उन्हें जीवनभर समस्याओं से जूझना पड़ता है।

*सरकार चला रही है कई योजनाएं*
मुख्य अतिथि जिला कल्याण पदाधिकारी रामकृपाल प्रसाद ने कहा कि मधेपुरा कॉलेज, मधेपुरा में जननायक कर्पूरी ठाकुर अति पिछड़ा वर्ग कल्याण छात्रावस, शिवनंदन प्रसाद मंडल +2 विद्यालय में पिछड़ा वर्ग कल्याण छात्रावास और मुरलीगंज में अनुसूचित जाति आवासीय विद्यालय संचालित है।‌

उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा मुख्यमंत्री सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना के तहत अति पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों को यूपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण करने पर एक लाख रुपए दिए जा रहे हैं।‌ मुख्यमंत्री सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना में बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण करने पर मुख्य परीक्षा के तैयारी के लिए पचास हजार रुपए दिया जाता है। पिछड़ा वर्ग एवं अत्यंत पिछड़ा वर्ग के छात्र-छात्राओं के लिए वर्तमान में मुख्यमंत्री पिछड़ा वर्ग एवं अत्यंत पिछड़ा वर्ग कौशल विकास योजना, परीक्षा शुल्क योजना चल रही है।

विशिष्ट अतिथि कुलानुशासक डॉ. बी. एन. विवेका ने बताया कि बीएनएमयू कैम्पस में नि: शुल्क प्राक् परीक्षा प्रशिक्षण केन्द्र संचालित है। इसमें एसएससी, रेलवे एवं बैंकिंग और बीपीएससी की तैयारी कराई जाती है। लेकिन दुख की बात है कि इसमें नामांकित विद्यार्थी नियमित रूप से कक्षा में नहीं आ रहे हैं।

*31 अक्टूबर तक आवेदन आमंत्रित*
उप कुलसचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि बीएनएमयू में मुख्यमंत्री व्यवसायिक पाठ्यक्रम प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन केंद्र संचालित है। इसमें नेट, गेट, जेआरएफ, पीएच. डी. आदि परीक्षाओं में चयनित होने के लिए परीक्षा पर्व निःशुल्क प्रशिक्षण (कोचिंग) की व्यवस्था है। इसके लिए 31 अक्टूबर तक आवेदन आमंत्रित किया गया है।

अतिथियों का स्वागत एम. एड. विभागाध्यक्ष डॉ. चन्द्रधारी यादव ने किया। कार्यक्रम का संचालन एम. एड. विभागाध्यक्ष डॉ. सुशील कुमार ने किया। कार्यक्रम में शिक्षक डॉ. शैलेश यादव, डॉ. शिवेन्द्र प्रताप सिंह, डॉ. राम सिंह यादव, रॉबिन्स कुमार, डॉ. वीर बहादुर यादव, डॉ. पवन कुमार, डॉ. माधुरी कुमारी, संतोष कुमार, डॉ. रूपा कुमारी, मो. तौकीर आलम आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।


इस अवसर पर आरुषि भारद्वाज, रानी कुमारी, सोनू कुमारी, प्रीति पूजा, काजल कुमारी, सोनम गुप्ता, प्रीति भारती, नीति कुमारी, नंदनी कुमारी, ज्योति कुमारी, रिमूव कुमारी, नीतू कुमारी, प्यारी कुमारी, राधा कुमारी, विवाह कुमारी नीतू कुमारी, शिवानी कुमारी, कादम्बिनी कुमारी, पारो कुमारी, मौसम कुमारी, स्वाति कुमारी, चंदा कुमारी, सुष्मिता कुमारी, मनीषा, रवि शंकर कुमार, प्रशांत कुमार, प्रेम राज, पिंटू कुमार, मो. मुस्ताक, नीतीश कुमार, नंदू , शुभंकर कुमार, सुशील कुमार, राजकुमार ,अमरदीप कुमार, नवल कुमार, पप्पू कुमार, माधव आनंद, चंद्र किशोर, भावेश कुमार, शिव कुमार, ऋतुराज, दिवाकर कुमार, रोशन कुमार मंटू कुमार सौरभ कुमार, गौरव कुमार, रंजन कुमार, मिंटू कुमार, अमोद कुमार कामत, ओमप्रकाश कुमार, अभिषेक कुमार, अक्षय कुमार फर्ज हाशमी आदि उपस्थित थे।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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