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BNMU कीर्ति नारायण मंडल : जीवन एवं दर्शन विषयक व्याख्यान आयोजित*

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*कीर्ति नारायण मंडल : जीवन एवं दर्शन विषयक व्याख्यान आयोजित*

*कीर्ति बाबू ने अपने कार्यों से अर्जित की महानता*

यह संसार मरणधर्मा है। इस संसार में जो प्राणी जन्म लेता है, उसे मरना पड़ता है। फिर धीरे-धीरे लोग उसे भूलने लगते हैं। लेकिन मरने से पूर्व व्यक्ति द्वारा किए गए कर्म उसे चिरकाल तक जीवित रखता है। “कीर्तिर्यस्य स जीवति।”

यह बात हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार चौधरी ने कही।

वे शनिवार को ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में महाविद्यालय में आयोजित व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। व्याख्यान का विषय कीर्ति नारायण मंडल : जीवन एवं दर्शन था।

उन्होंने कहा कि कीर्ति नारायण मंडल महामना कीर्ति नारायण मंडल कोई अवतार नहीं थे और न ही वे जन्मना महान थे। उन्होंने अपने कार्यों से महानता अर्जित की।

उन्होंने कहा कि कीर्ति बाबू महात्मा बुद्ध के जैसे गृहत्यागी एवं महात्मा गाँधी जैसे सत्याग्रही थे। हमें उनके जीवन में गीता के निष्काम कर्मयोग का साक्षात्कार होता है। “रचकर कोई संसार सजाकर फूलवारी/ फिर छोड़ उसे तुम चल देते उसर वन में।”

*कीर्ति बाबू का संपूर्ण जीवन शिक्षा-जागरण के लिए समर्पित*

उन्होंने कहा कि कीर्ति बाबू ने अपनी पूरी संपत्ति संपत्ति का कण-कण समाज को दान कर दिया। उन्होंने अपने लिए कुछ भी बचाकर नहीं रखा। “जिसने अर्पित कर दी अपनी बोटी-बोटी/रखी नहीं बचाकर अपने लिए रोटी।”

उन्होंने कहा कि कीर्ति बाबू ने अपना संपूर्ण जीवन शिक्षा-जागरण के लिए समर्पित कर दिया। वे जहां-जहां रहे वहां-वहां कोई-न-कोई शिक्षण संस्थान अस्तित्व में आया। “जिस ओर साधना का रथ बढ़ जाता तेरा/ उस ओर सृजन की नित नई गंगा बहती।”

उन्होंने कहा कि कीर्ति बाबू ने कोसी को शिक्षित एवं विकसित करने के लिए ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय एवं पार्वती विज्ञान महाविद्यालय सहित दर्जनों शैक्षणिक संस्थान का निर्माण किया। उनके बनाए शिक्षण संस्थानों से आज हजारों छात्र पढ़-लिखकर अच्छे-अच्छे पदों पर देश की तरक्की में लगे हुए हैं।

*कीर्ति बाबू को है आधुनिक कोसी के निर्माण का श्रेय*

मुख्य अतिथि अर्थशास्त्र विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर एवं विद्वत परिषद् की सदस्या प्रज्ञा प्रसाद ने कहा कि कीर्ति नारायण मंडल ने सुकरात की तरह परेशानियों को झेलते हुए भी सत्य के मार्ग पर चलते रहे। पारिवारिक एवं सामाजिक झंझावातों के बावजूद वे कर्म-पथ पर अडिग रहे।

उन्होंने कहा कि कीर्ति नारायण मंडल को आधुनिक कोसी के निर्माण एवं विकास का श्रेय जाता है।‌ उन्होंने स्वातंत्र्योत्तर काल में कोसी के सर्वांगीण विकास एवं गुणात्मक परिवर्तन को दिशा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे अपने समय एवं संसाधन का नियोजन अपने क्षेत्र के विकास के लिए करें।हमेशा अपनी मिट्टी से जुड़े रहें और अपनी जड़ों को कभी नहीं भूलें; क्योंकि जो अपनी जड़ों को छोड़ता है, वह भटक जाता है।

*कीर्ति बाबू में थी असाधारण शक्ति*

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रधानाचार्य प्रो. कैलाश प्रसाद यादव ने कहा कि कीर्ति बाबू बिल्कुल साधारण दिखते थे। लेकिन उनके अंदर असाधारण शक्ति थी। उन्होंने मधेपुरा एवं कोसी के विकास के लिए जो कार्य किया, वह अविस्मरणीय है।

 

अतिथियों का स्वागत एवं विषय प्रवेश करते हुए अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ. मिथिलेश कुमार अरिमर्दन ने कहा कि कीर्ति बाबू का जीवन ही उनका संदेश है। हम उनके जीवन बताए रास्ते पर चलें, यही उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

 

*हमेशा बनी रहेगी कीर्ति बाबू की ख्याति*

कार्यक्रम का संचालन दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि कीर्ति बाबू की यश, कीर्ति एवं ख्याति हमेशा-हमेशा के लिए बनी रहेगी। हमारी यह जिम्मेदारी है कि हम उनके आदर्शों को अपने जीवन में अपनाएं और उनके सपनों को साकार करने में अपना योगदान दें।

 

धन्यवाद ज्ञापन करते हुए गणित विभागाध्यक्ष ले. गुड्डु कुमार ने कहा कि कीर्ति बाबू के जीवन एवं दर्शन को जन-जन तक पहुंचाने की जरूरत है।

 

इसके पूर्व सभी लोगों ने कीर्ति नारायण मंडल की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि की।

 

इस अवसर पर इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर अमिताभ कुमार, अमित कुमार, कुंदन कुमार सिंह, आशुतोष झा, विनीत राज, ललन कुमार, धीरज, अनिल, अभिनव, राजीव, रोशन, अतिकुर रहमान, राहुल राज, सत्यम, बृजनंदन, करण, मुन्ना, नीतीश, शुभम, सुनील, सक्षम, रितु, बिट्टू, मनीष, काजल, अनु, सुनीता, बंटी, मनीषा, अभिनव, नीरज, रामनरेश, आशीष, अभिषेक, प्रिंस, केशव, कृष्णदेव, राकेश, अंकेश, दिलीप, प्रणव, प्रीतम, निकेश, रूपम, रोहित, मनीष, आलोक, अतुल, नैना, केशव, गौतम, राहुल, प्रदीप, बबलू, रिंकू, नेहा, विवेक, प्रवीण, संगीत, कृष्ण, मुकेश, राजेश, विक्रम, आदर्श, सौरभ, भूषण, शिवम, निधि, साक्षी, रितेश, सोनी, आशीष, मौसम, प्रियंका, प्रीति, रिया, गुड्डू, दीपक, अंजलि, अमित, दिलखुश, श्रुति, शिवांशु, यशवंत, गौतम, युवराज, अंकित, रवि, सिंटू, सोनू, आदित्य, अश्विनी, मनु, ज्योति, सरोज, अंकित, ज्योतिष, गगन, आंचल, चांदनी, सिमरन, मुस्कान, दीपक, अनुज, अमन, राजन, गणेश, भावेश, गुलशन आदि उपस्थित थे।

Bnmu Samvad
Author: Bnmu Samvad

Dr. Sudhanshu Shekhar, Bhupendra Narayan Mandal University, Laloonagar, Madhepura-852113 (Bihar), India

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