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BNMU। 72वें गणतंत्र दिवस पर मा. कुलपति का संबोधन

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आज के इस गौरवमयी एवं महान राष्ट्रीय पर्व 72 वें गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर उपस्थित भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के सम्मानित प्रति कुलपति प्राफेसर डाॅ. आभा सिंह जी, अभिभावक तुल्य अवकास प्राप्त शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारीगण, सभी संकायाध्यक्षगण, सभी विभागाध्यक्षगण, सभी पदाधिकारीगण, सभी शिक्षकगण, सभी शिक्षकेत्तर कर्मचारिगण, सभी अभिभावकगण, लोकतंत्र के सजग प्रहरी पत्रकार बंधुओं और राष्ट्र के भविष्य हमारे प्यारे विद्यार्थियों आप सबों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।

आज इस शुभ अवसर पर मैं सर्वप्रथम श्रृंगी ऋषि की तपोस्थली सिंहेश्वर स्थान अवस्थित देवाधिदेव महादेव को नमन करता हूँ और अपनी इस पावन मातृभूमि का कोटिशः वंदन करता हूँ।

पुनः मैं महान व्यावहारिक समाजवादी विचारक एवं जननेता महामाना श्री भूपेन्द्र नारायण मंडल के चरणों में अपना शीश झूकाता हूँ, जिनके नाम पर हमारा यह विश्वविद्यालय स्थापित है। साथ ही इस विश्वविद्यालय के निर्माण एवं विकास में प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से सहयोग देने वाले सभी पूर्वजों एवं अग्रजों के प्रति हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ।

मैं महामहिम राज्यपाल सह कुलाधिपति श्री फागू चौहान साहेब और राज्य सरकार के प्रति भी अपना हार्दिक आभार एवं साधुवाद व्यक्त करता हूँ, जिन्होंने मुझे अपने ही विश्वविद्यालय की सेवा करने का विशेष अवसर प्रदान किया।

हम सभी जानते हैं कि लंबे संघर्ष एवं लाखों कुर्बानियों एवं शहादतों के बाद हमारा देश आजाद हुआ और हमने लोकतंत्रात्मक शासन-प्रणाली को अपनाया। 26 जनवरी, 1950 वह ऐतिहासिक दिन था, जिस दिन हमारा संविधान लागू हुआ। हमारे देश के गणतंत्रात्मक स्वरूप को घोषणा की गई। तब से हम प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी को समारोहपूर्वक अपना गणतंत्र दिवस मनाते हैं।

26 जनवरी, 1950 को हम राजनैतिक गण्तंत्र बन गए हैं। लेकिन हमें अब सामाजिक एवं आर्थिक गणतंत्र की ओर आगे बढ़ना है। हम राजनैतिक रूप से एक समान हो गए हैं। अब सामाजिक एवं आर्थिक समानता की ओर कदम बढ़ाना है। हमें शैक्षणिक समानता की दिशा में काम करने की जरूरत है। हमें इस नारे हकीकत में बदलना है, ‘‘राष्ट्रपति का बेटा हो या भंगी की संतान सबको शिक्षा एक समान।”

गणतंत्र महज एक राजनीतिक स्थिति या घटना मात्र नहीं हैं, बल्कि यह एक जीवन-मूल्य है। गणतंत्र एक जीवन-मूल्य है, एक भाव है, आचार-विचार है, व्यवहार एवं संस्कार है। यह बाहरी से कहीं अधिक आन्तरिक बात है। यही कारण है कि महात्मा गाँधी ने अपनी सुप्रसिद्ध पुस्तक ‘हिन्द स्वराज’ में कहा है कि ‘‘अपने मन का राज स्वराज है।’’ सचमुच वही व्यक्ति स्वतंत्र है, जिसे स्वतंत्रता का एहसास है। … और स्वतंत्रता का यह एहसास हमें अपनी जिम्दारियों को निभाने के लिए भी प्रेरित करता है। यही कारण है कि हमारे संविधान में मौलिक अधिकारों के साथ-साथ मौलिक कर्तव्यों की भी चर्चा है। आइए आज हम सभी अपने-अपने कर्तव्यों के सम्यक् निर्वाहण की शपथ लें।

अतः सच मानिए तो गणतंत्र दिवस उत्सव मनाने से अधिक संकल्प लेने का दिवस है। हम संकल्प लें कि हम अपने समाज के प्रति, अपने संस्थान के प्रति एवं अपने राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का समुचित निर्वहन करेंगे।

अंत में मैं राष्ट्रपिता महात्मा गाॅंधी को याद करना चाहता हूॅं। उन्होंने कहा था कि मैं भारत को तभी स्वतंत्र मानूॅंगा, जब सबों के आँसू पोछ दिए जाएंगे। आज हमें इस ओर ध्यान देना है और गाॅंधी के अंतिम व्यक्ति अर्थात् अंतिम जन को ध्यान में रखकर काम करना होगा।

आप सभी जानते हैं कि पिछले एक वर्ष से पूरी दुनिया वैश्विक महामारी कोरोना से ग्रस्त और त्रस्त है। इसका शिक्षा व्यवस्था पर भी काफी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। इसके बावजूद हम विश्वविद्यालय के समग्र विकास एवं शैक्षणिक उन्नयन का हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। यह विश्वविद्यालय ही हमारे लिए मंदिर है। विश्वविद्यालय है, तो हम हैं और विश्वविद्यालय है, तभी आप सभी माननीय सदस्य यहाँ हैं।
आप सभी जानते हैं कि 10 जनवरी, 1992 को इस विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थीं और गत 18 मार्च, 2018 में इसे विभाजित कर पूर्णिया विश्वविद्यालय, पूर्णिया का गठन किया गया है और अब हमारे विश्वविद्यालय का कार्यक्षेत्र कोसी प्रमंडल के तीन जिलों मधेपुरा, सहरसा एवं सुपौल तक ही है। 1992 से अब तक विश्वविद्यालय की विकास यात्रा में काफी उतार-चढ़ाव आए हैं। मैंने इस विकास यात्रा को करीब से देखा है और आप सभी ने भी इसे देखा-सुना है।

आप जानते है कि हमारा बी.एन. मंडल विश्वविद्यालय आर्थिक रूप से अत्यंत पिछड़े इलाके में स्थित है और लगातार विभिन्न आपदाओं से पीड़ित रहा है, लेकिन हमें इससे घबराने की जरूरत नहीं हैं। हम अपने सद्कर्माें के बल पर अपनी नियति को बदल सकते हैं। अपना नया भाग्य लिख सकते हैं। हमारे यहाँ ज्ञान-विज्ञान एवं आचार-व्यवहार की एक लम्बी एवं समृद्ध परापरा रही है। हमारी यह पावन धरती कई महापुरूषों की जन्मभूमि एवं कर्मभूमि रही है। हमारे विद्यार्थियों में अत्यधिक प्रतिभा है और हमारे क्षेत्र की जनता अत्यधिक परिश्रमी एवं संधर्षशील है। हम उनके दम पर विश्वविद्यालय को आगे बढ़ाएंगे।

आज हमारे लिए अपने इस विश्वविद्यालय के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाने का वक्त है।
हम सभी मिलकर बी.एन. मंडल विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय स्तर के विश्वविद्यालय के समकक्ष ले जाने हेतु प्रयास करें। अपनी-अपनी क्षमताओं का सकारात्मक उपयोग करें और विश्वविद्यालय को अपनी सर्वोत्तम सेवा देने का हर संभव प्रयास करें। इस पुनित कार्य के लिए मैं सभी पदाधिकारियों, शिक्षकों, कर्मचारियों, अभिभावकों एवं छात्र-छात्राओं से सहयोग की अपील करता हूँ। सभी राजनेताओं, व्यवसायियों, समाजसेवियों, बुद्धिजीवियों एवं प्रत्रकारों से भी सहयोग अपेक्षित है।

यदि हम सब दृढ़ प्रण कर लें और तदनुसार ईमानदारीपूर्वक अपनी-अपनी भूमिकाओं का निर्वह्न करेें, तो हम सहज ही अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकेंगे। वह दिन दूर नहीं है, जब हमारा विश्वविद्यालय राष्ट्रीय- अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने में कामयाब होगा।

इन्हीं सद्इच्छाओं के साथ आप सबों को पुनः गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई एवं अशेष शुभकामनाएँ।

जय हिंद! जय बिहार !! जय बीएनएमयू !!!

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