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Bihar एजेंसी के माध्यम से प्रोफेसर की बहाली के विरोध में सभी एकजुट।

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एजेंसी के माध्यम से प्रोफेसर की बहाली के विरोध में सभी एकजुट

बीएनएमयू में शोधार्थियों की  हुई आपात बैठक।              ‌

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कुछ दिनों पूर्व बिहार सरकार, शिक्षा विभाग ने एक अदूरदर्शी निर्णय लेते हुए काॅलेज और विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर की बहाली प्रक्रिया प्राइवेट ऐजेंसी को सौंप दिया है और इस बात सभी विश्वविद्यालयों को पत्र भी जारी कर दिया है। जिस पत्र के आलोक में पटना के किसी विकास ट्रेडर्स नाम की निजी कंपनी ने कुछ कॉलेजों में अध्यापन कार्य के लिए शिक्षकों की आपूर्ति प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस बावत बीएनएमयू की अंगीभूत इकाई रमेश झा महिला महाविद्यालय में नियुक्त से संबंधित एक पत्र सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। इस पत्र में हास्यास्पद रूप से रमेश झा महिला महाविद्यालय को विश्वविद्यालय लिखा गया है। वैसे हो सकता है कि यह हड़बड़ी में हुई टंकन संबंधी गलती हो, लेकिन ग़लती से ही एक महत्वपूर्ण बात की ओर इशारा हो गया है।‌ वह बात यह है कि ‘महाविद्यालय’ प्रशासन ने कथिततौर पर अपने आपको ‘विश्वविद्यालय’ समझ कर एजेंसी को नियुक्त का आर्डर दे दिया, जो अधिकार विश्वविद्यालय को है, उसका महाविद्यालय प्रयोग कर रहा है!

बहरहाल इस मामले को लेकर पूरे बिहार के शिक्षा जगत में हलचल है। लेकिन यह मामला जितना गंभीर है, उस तरह का आंदोलन देखने को नहीं मिल रहा है।

लेकिन 21 फरवरी, 2022 को मौसम में आई थोड़ी गर्माहट के साथ ही भूपेंद्र नारायण मण्डल विश्वविद्यालय, लआलूनगर, मधेपुरा में भी इस मामले में थोड़ी हलचल देखी गई। मामले को लेकर प्रशासनिक परिसर (ओल्ड कैम्पस) में महामना भूपेन्द्र नारायण मंडल प्रतिमा स्थल पर एक आपात बैठक आयोजित हुई। बैठक में बीएनएमयू के शोधार्थियों , पी-एच. डी.और नेट-जेआरएफ उत्तीर्ण स्टूडेंट्स ने संयुक्त रूप से बैठक आयोजित कर बिहार सरकार की शिक्षा विभाग के इस निर्णय का कड़ा विरोध  किया।

बैठक के उपरांत सभी स्टूडेंट्स विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ मिहिर कुमार ठाकुर से मिलकर आवेदन सौंपा।

दिए गए आवेदन के माध्यम से कहा कि विश्वविद्यालय के विभिन्न अंगीभूत महाविद्यालयों में निजी ऐजेंसियों के द्वारा सहायक प्राध्यापकों की बहाली की जा रही है। रमेश झा महिला कॉलेज, सहरसा में इस तरह चार लोगों की बहाली की जा चुकी है। कहने की जरूरत नहीं है कि इस तरह की बहाली में न तो कोई पारदर्शिता है और न ही किसी आरक्षण रोस्टर का पालन हुआ है।नियम-परिनियम को ताक पर रखकर विश्वविद्यालय से बिना कोई अनुमति के ये बहाली की गई है।

वीर कुँवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा ने इस तरह की बहाली पर संज्ञान लेते हुए विश्वविद्यालय की अनुमति के बिना बहाली नहीं करने का सख्त निर्देश है।

हाल ही में पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, पटना में हुए सीनेट की बैठक में भी इस तरह की बहाली का विरोध कर चुका है।

अंत में सभी ने एक स्वर में कुलसचिव डॉ मिहिर कुमार ठाकुर मांग कि रमेश झा महिला कॉलेज, सहरसा के द्वारा बहाल सहायक प्राध्यापक की बहाली को अतिशीघ्र रद्द करने किया जाए। साथ ही रमेश झा महिला कॉलेज के प्राचार्य पर विधिसम्मत कार्रवाई किया जाए। यह भी मांग किया कि भविष्य में विश्वविद्यालय प्रशासन के अनुमति के बिना किसी भी तरह की बहाली नहीं हो,इस संबंध में विश्वविद्यालय प्रशासन जल्द एक अधिसूचना जारी करें।

साथ ही रमेश झा महिला कॉलेज के प्राचार्य पर विधिसम्मत कार्रवाई किया जाए

स्टूडेंट्स का कहना था कि बिहार सरकार का यह नया फरमान बिहार के शिक्षा-व्यवस्था को चौपट कर देगा। सरकार का यह फैसला कड़ी मेहनत करके नेट-जेआरएफ और पी-एच. डी. करने वाले स्टूडेंट्स का मनोबल तोड़ने वाला नियम है।

इससे निजी कंपनियों के द्वारा प्रतिभाशाली और गरीब छात्रों का आर्थिक और मानसिक शोषण होना तय है। इसमें किसी भी तरह के आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं होगा। मनमर्जी अनुसार ये एजेंसी जब जिसे चाहे हटा देगी और जब जिसे चाहे ले आएगी। सरकार शिक्षा को निजीकरण करके शैक्षणिक संस्थानों को अनाथ बना देना चाहती है। यह प्रक्रिया अगर जारी रही, तो बिहार की शिक्षा-व्यवस्था तो चौपट होगी ही साथ ही यहाँ की प्रतिभा का भी पलायन हो जाएगा। जिससे आगे आनेवाली पीढ़ियाँ बर्बाद हो जाएगी।

मौके पर विभिन्न छात्र संगठनों के नेता सहित बड़ी संख्या में असिस्टेंट प्रोफेसर योग्यताधारी अभ्यर्थी, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे। इनमें नरेश कुमार, सारंग तनय, विभीषण कुमार, डॉ. माधव कुमार, डॉ. मो. वसीमउद्दीन उर्फ नन्हें, निशांत यादव, अरमान अली, प्रभात रंजन, सोनू यादव, नीतीश कुमार, ईशा असलम, नीतीश कुमार उर्फ जापानी यादव, राहुल पासवान, सौरभ कुमार, अक्षय सिद्धांत, सौरभ कुमार, राजहंस राज, नीरज कुमार, राज किशोर राज, शशि कुमार, नंदन कुमार, मुकेश कुमार, ब्रजभूषण, राजेश कुमार, अमरेश कुमार, कौशल कुमार आदि मौजूद रहे।

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