*डाॅ. राजकुमारी सिन्हा को बधाई*
भारतीय महिला दार्शनिक परिषद् की अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. राजकुमार सिन्हा को अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के 66वें अधिवेशन का सामान्य अध्यक्ष चुना गया है। उनका चयन महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा (महाराष्ट्र) में आयोजित 65वें अधिवेशन किया गया, जिसमें बीएनएमयू, मधेपुरा की भी महती भागीदारी रही।
डाॅ. सिन्हा को इस उपलब्धि के लिए बीएनएमयू, मधेपुरा के कुलपति प्रोफेसर डॉ. आर. के. पी. रमण, प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉ. आभा सिंह, पूर्व कुलपति प्रोफेसर डॉ. ज्ञानंजय द्विवेदी, विश्वविद्यालय दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष शोभाकांत कुमार, ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में दर्शनशास्त्र विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर एवं अध्यक्ष डाॅ. सुधांशु शेखर आदि ने बधाई दी हैं।
डाॅ. शेखर ने बताया कि डाॅ. सिन्हा का मधेपुरा से काफी लगाव है। इन्होंने यहाँ विश्वविद्यालय दर्शनशास्त्र विभाग और ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा द्वारा आयोजित कई कार्यक्रमों में मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता आदि के रूप में महती भागीदारी निभाई है। विशेष रूप से अगस्त-सितंबर 2020 में आयोजित दस वेबिनार की श्रृंखला और दिसंबर में आयोजित राष्ट्रीय सेवा योजना के सात दिवसीय शिविर में डाॅ. सिन्हा ने विभिन्न विषयों पर प्रेरणादायी व्याख्यान दिया था। पुनः, मार्च 2021 में आयोजित दर्शन परिषद्, बिहार के राष्ट्रीय अधिवेशन में भी इनका सारगर्भित व्याख्यान हुआ और इस अवसर पर प्रकाशित स्मारिका में भी इनका शुभकामना संदेश प्रकाशित हुआ था।
डाॅ. शेखर ने बताया कि डाॅ. सिन्हा लंबे समय से अखिल भारतीय दर्शन परिषद् की सक्रिय सदस्य हैं। ये वर्ष 2000-2012 तक परिषद् की संयुक्त मंत्री एवं मंत्री रही हैं और संप्रति परिषद् की शोध-पत्रिका दार्शनिक त्रैमासिक की संरक्षक मंडल की सदस्य हैं। इस पत्रिका में बीएनएमयू, मधेपुरा के शिक्षकों एवं शोधार्थियों के आलेख प्रकाशित होते रहे हैं।
डाॅ. शेखर ने बताया कि डाॅ. सिन्हा से उनका लगभग पंद्रह वर्षों का आत्मिय पारिवारिक संबंध है। डाॅ. सिन्हा ने भी उनके पैतृक विश्वविद्यालय तिलकामाँझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर से दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की है। इस दौरान वे डाॅ. शेखर के शोध-निदेशक डाॅ. प्रभु नारायण मंडल (मधेपुरा जिला निवासी) की सहपाठी थीं। पुनः वर्ष 2012 में डाॅ. सिन्हा डाॅ. शेखर के पीएच. डी. शोध-प्रबंध की बाह्य परीक्षक भी थीं।
डाॅ. शेखर ने बताया कि2 जून, 1947 को बेगूसराय (बिहार) में जन्मी डाॅ. सिन्हा का लगभग पचास वर्षों का शैक्षणिक सफर काफी गौरवपूर्ण रहा है। इन्होंने 1970 ई. में राँची विश्वविद्यालय, राँची में व्याख्याता (दर्शनशास्त्र) के रूप में अध्यापन की शुरूआत की थीं। वहाँ वे 1980 में रीडर और 1988 में विश्वविद्यालय प्रोफेसर बनीं। वे 1988 से 2009 तक दर्शनशास्त्र विभाग, राँची विश्वविद्यालय, राँची में सेवारत रहीं और वीमेंस स्टडी सेंटर की निदेशका के रूप में भी उल्लेखनीय योगदान दिया। संप्रति सेवानिवृत्ति के बाद भी डाॅ. सिन्हा वेदांत रिसर्च सेंटर के निदेशक की जिम्मेदारियों का सफलतापूर्वक निर्वहन कर रही हैं।