BNMU मानव सभ्यता के विकास में शोध का महत्वपूर्ण योगदान : कुलपति* मानविकी विज्ञान संकाय की पीजीआरसी के बैठक आयोजित। 115 शोध-प्रस्तावों को स्वीकृति

मानव सभ्यता के विकास में शोध का महत्वपूर्ण योगदान : कुलपति*

मानविकी विज्ञान संकाय की पीजीआरसी के बैठक आयोजित। 115 शोध-प्रस्तावों को स्वीकृति
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शोध का मानव सभ्यता-संस्कृति के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। हमारे समाज एवं राष्ट्र के विकास में पूर्व के शोध ने महती भूमिका निभाई है।

यह बात कुलपति प्रोफेसर डाॅ. आर. के. पी. रमण ने कही। वे मंगलवार को मानविकी संकाय, बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के स्नातकोत्तर गवेषणा परिषद् (पीजीआरसी) की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।

कुलपति ने कहा कि अध्ययन- अध्यापन एवं शोध की कोई सीमा नहीं है। शोध एक जीवनपर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है। निरंतर अभ्यास के बल पर ही हम इसमें महारथ हासिल कर सकते हैं।

कुलसचिव डाॅ. कपिलदेव प्रसाद ने कहा कि विश्वविद्यालय विकास के पथ पर अग्रसर है और यहाँ शोध गतिविधियों को गति देने का प्रयास किया जा रहा है। इसमें सबों की भागीदारी अपेक्षित है।

*115 प्रस्ताव पारित*

बैठक में विभागीय शोध परिषद् द्वारा अनुशंसित एवं संकायाध्यक्ष द्वारा अनुमोदित पी-एच. डी. शोध से संबंधित कुल 115 प्रस्तावों पर चर्चा हुई और प्रायः सभी प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। इनमें हिंदी के 57, अंग्रेजी के 22, उर्दू के 21, दर्शनशास्त्र के 8, संस्कृत के 4 और मैथिली के 3 प्रस्ताव थे। हिंदी में नया 55 एवं पुराना दो और अंग्रेजी में नया 12 एवं पुराना 10 मामला था। उर्दू, दर्शनशास्त्र, संस्कृत एवं मैथिली में कोई भी पुराना मामला नहीं था।

बैठक में विभागीय शोध परिषद् (डीआरसी) से पारित और संकायाध्यक्ष से अनुमोदित शोध- प्रस्तावों पर चर्चा हुई। साथ ही पी-एच. डी. से जुड़े अन्य मामलों पर भी विचार-विमर्श कर आवश्यक निर्णय लिया गया। नए शोधार्थियों का पीएटी-2019 के तहत पी-एच. डी. कोर्स वर्क में नामांकन हुआ था। पुराने शोधार्थियों का अधिकांश मामला शोध-प्रबंध जमा करने हेतु अवधि विस्तारण का था। सभी शोधार्थियों को यूजीसी के दिशानिर्देशों के आलोक में पी-एच. डी. शोध-प्रबंध जमा करने की अवधि 31 दिसंबर, 2021 तक विस्तारित की गई है।

बैठक में यह निर्णय लिया गया कि आगे सभी शोध-प्रारूपों को विश्विविद्यालय की वेबसाइट पर डाला जाएगा। साथ ही शोध-प्रबंध को प्लैग्रिज्म जाँच से गुजारा जाएगा। इसके लिए प्रत्येक विभाग एवं विश्वविद्यालय स्तर पर भी एक कमिटी बनेगी और विश्वविद्यालय के प्लैग्रिज्मम डिटेक्शन सेंटर को पुनः चालू किया जाएगा। विश्वविद्यालय में पी-एच. डी. शोध-प्रबंध जमा करने के संबंध में एकरूपता लाने हेतु आवश्यक निर्णय के लिए एक कमिटी का गठन किया जाएगा। यह कमिटी सभी शोध-प्रबंधों के लिए एक समान टाइपिंग, बाइंडिंग, टाइटल स्टाइल एवं कवर पेज आदि का प्रारूप तय करेगी। साथ ही सभी शोधार्थियों के घोषणापत्र, शोध-निदेशक के प्रमाणपत्र एवं विभागाध्यक्ष के प्री-सब्मिशन सर्टिफिकेट का प्रारूप भी निर्धारित किया जाएगा।

बैठक में पूर्व प्रभारी कुलपति डाॅ. ज्ञानंजय द्विवेदी, मानविकी संकायाध्यक्ष डाॅ. उषा सिंहा, डाॅ. विनय कुमार चौधरी, डाॅ. बद्री नारायण यादव, डाॅ. रंजीत कुमार सिंह, डाॅ. संजय झा, डाॅ. देव नारायण साह, डाॅ. देवानंद झा, डाॅ. अमानुल्ला खाँ, डाॅ. वीणा कुमारी, डाॅ. एन. के. यादव, डाॅ. उपेंद्र पंडित, डाॅ. मो. एहसान, शोभाकांत कुमार, कुलसचिव डाॅ. कपिलदेव प्रसाद, निदेशक (अकादमिक) डाॅ. एम. आई. रहमान एवं उपकुलसचिव (अकादमिक) डाॅ. सुधांशु शेखर उपस्थित थे।

उप कुलसचिव (अकादमिक) डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया बैठक में विशेष रूप से कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु ऐहतियात बरता गया और इस संदर्भ में निर्धारित सभी दिशानिर्देशों (एसओपी) का पालन किया गया। इस हेतु विशेष रूप से केंद्रीय पुस्तकालय सभागार को सेनेटाइज कराया गया और सभी सदस्यों के मास्क, गलब्स एवं सेनेटाइजर की व्यवस्था की गई।

डाॅ. शेखर ने बताया कि शनिवार एवं सोमवार को क्रमशः वाणिज्य संकाय एवं सामाजिक विज्ञान संकाय के पीजीआरसी की बैठक संपन्न हो चुकी है। बुधवार को विज्ञान संकाय (भौतिकी, रसायनशास्त्र, वनस्पति विज्ञान, जंतु विज्ञान एवं गणित) की बैठक सुनिश्चित है। इसके साथ ही पीजीआरसी की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। तदुपरांत पीजीआरसी के कार्यवृत के आधार पर शोधार्थियों के पंजीयन का कार्य होगा।