BNMU मानव जीवन में शोध का महत्वपूर्ण स्थान : कुलपति

*मानव जीवन में शोध का महत्वपूर्ण स्थान : कुलपति*

सामाजिक विज्ञान संकाय की पीजीआरसी के बैठक आयोजित। 123 शोधार्थियों के शोध-प्रस्तावों को मंजूरी। 43 शोधार्थियों को मिला शोध-प्रबंध जमा करने हेतु अवधि विस्तारण
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मानव जीवन में शोध का महत्वपूर्ण स्थान है। आज हम अपने समाज एवं राष्ट्र का जो स्वरूप देख रहे हैं, उसमें शोध की महती भूमिका रही है।

यह बात कुलपति प्रोफेसर डाॅ. आर. के. पी. रमण ने कही। वे सोमवार को सामाजिक विज्ञान संकाय, बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के स्नातकोत्तर गवेषणा परिषद् (पीजीआरसी) की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।

कुलपति ने कहा कि शोध विश्वविद्यालय का सर्वप्रमुख कार्य है।उच्च शिक्षा में रिसर्च या शोध की भूमिका सबसे अहम होती है और यह उच्च शिक्षा के लिए प्राणवायु के समान है। किसी भी उच्च शिक्षण संस्थान की रैंकिंग में उसमें शोध की स्थिति का विशेष महत्व है। अतः हम सबों को मिलकर शोध पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

कुलपति ने कहा कि शोध एक जीवनपर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है। हम निरंतर अभ्यास के द्वारा ही शोध के क्षेत्र में महारत हासिल कर सकते हैं। अतः सभी शोधार्थियों के लिए यह जरूरी है कि वे निरंतर तत्पर रह कर कार्य किया करें।

कुलसचिव डाॅ. कपिलदेव प्रसाद ने कहा कि पीजीआरसी की यह बैठक लंबी प्रतिक्षा के बाद आयोजित हो रही है। आगे नियमित रूप से इसकी बैठक आयोजित की जाएगी।

*166 प्रस्ताव पारित*

बैठक में विभागीय शोध परिषद् द्वारा अनुशंसित एवं संकायाध्यक्ष द्वारा अनुमोदित पी-एच. डी. शोध से संबंधित कुल 166 प्रस्तावों पर चर्चा हुई और प्रायः सभी प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। इनमें इतिहास के 48, राजनीति विज्ञान के 27, मनोविज्ञान के 27, अर्थशास्त्र के 24, गृह विज्ञान के 22, समाजशास्त्र के 14 और भूगोल के 2 प्रस्ताव थे।इतिहास में नया 47 एवं पुराना एक, राजनीति विज्ञान में नया 15 एवं पुराना 12, मनोविज्ञान में नया 17 एवं पुराना 10, अर्थशास्त्र में नया 24 एवं पुराना शून्य, गृह विज्ञान में नया 5 एवं पुराना 17, समाजशास्त्र में नया 13 एवं पुराना एक और भूगोल में नया दो एवं पुराना शून्य मामले थे।

बैठक में विभागीय शोध परिषद् (डीआरसी) से पारित और संकायाध्यक्ष से अनुमोदित शोध- प्रस्तावों पर चर्चा हुई। साथ ही पी-एच. डी. से जुड़े अन्य मामलों पर भी विचार-विमर्श कर आवश्यक निर्णय लिया गया। नए शोधार्थियों का पीएटी-2019 के तहत पी-एच. डी. कोर्स वर्क में नामांकन हुआ था। पुराने शोधार्थियों का अधिकांश मामला शोध-प्रबंध जमा करने हेतु अवधि विस्तारण का था। सभी शोधार्थियों को यूजीसी के दिशानिर्देशों के आलोक में पी-एच. डी. शोध-प्रबंध जमा करने की अवधि 31 दिसंबर, 2021 तक विस्तारित की गई है।

बैठक में यह निर्णय लिया गया कि आगे सभी शोध-प्रारूपों को विश्विविद्यालय की वेबसाइट पर डाला जाएगा। साथ ही शोध-प्रबंध को प्लैग्रिज्म जाँच से गुजारा जाएगा। इसके लिए प्रत्येक विभाग एवं विश्वविद्यालय स्तर पर भी एक कमिटी बनेगी और विश्वविद्यालय के प्लैग्रिज्मम डिटेक्शन सेंटर को पुनः चालू किया जाएगा।

विश्वविद्यालय में पी-एच. डी. शोध-प्रबंध जमा करने के संबंध में एकरूपता लाने हेतु आवश्यक निर्णय के लिए एक कमिटी का गठन किया जाएगा। यह कमिटी सभी शोध-प्रबंधों के लिए एक समान टाइपिंग, बाइंडिंग, टाइटल स्टाइल एवं कवर पेज आदि का प्रारूप तय करेगी। साथ ही सभी शोधार्थियों के घोषणापत्र, शोध-निदेशक के प्रमाणपत्र एवं विभागाध्यक्ष के प्री-सब्मिशन सर्टिफिकेट का प्रारूप भी निर्धारित किया जाएगा।

बैठक में सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष डाॅ. राज कुमार सिंह, डाॅ. राजीव रंजन, डाॅ. भावानंद झा, डाॅ. अशोक कुमार, डाॅ. ललन प्रसाद अद्री, डाॅ. कैलाश प्रसाद यादव, डाॅ. अशोक कुमार सिंह, डाॅ. पवन कुमार, डाॅ. चंद्रप्रकाश सिंह, डाॅ. रीता सिंह, डाॅ. गणेश प्रसाद, डाॅ. शाहिद हुसैन, डाॅ. इम्तियाज अंजूम, डाॅ. जवाहर पासवान, डाॅ. इन्द्रदेव सिंह यादव, डाॅ. मनोरंजन प्रसाद, कुलसचिव डाॅ. कपिलदेव प्रसाद, निदेशक (अकादमिक) डाॅ. एम. आई. रहमान एवं उपकुलसचिव (अकादमिक) डाॅ. सुधांशु शेखर उपस्थित थे।

उप कुलसचिव (अकादमिक) डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि कुलपति प्रोफेसर डॉ. आर. के. पी. रमण शोध को गति देने हेतु प्रयासरत हैं और उन्होंने शोधार्थियों के हित में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए है। कुलपति के निदेशानुसार विपरीत परिस्थितियों में भी पीजीआरसी की बैठक की जा रही है।

बैठक में विशेष रूप से कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु ऐहतियात बरता गया और इस संदर्भ में निर्धारित सभी दिशानिर्देशों (एसओपी) का पालन किया गया। इस हेतु विशेष रूप से केंद्रीय पुस्तकालय सभागार को सेनेटाइज कराया गया और सभी सदस्यों के मास्क, गलब्स एवं सेनेटाइजर की व्यवस्था की गई।

डाॅ. शेखर ने बताया कि शनिवार को ही वाणिज्य संकाय के पीजीआरसी की बैठक संपन्न हो चुकी है। आगै मंगलवार को मानविकी संकाय (दर्शनशास्त्र, हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, उर्दू एवं मैथिली) और बुधवार को विज्ञान संकाय (भौतिकी, रसायनशास्त्र, वनस्पति विज्ञान, जंतु विज्ञान एवं गणित) की बैठक सुनिश्चित है।