Poem। कविता / लहरें /अंजलि आहूजा, श्रीनगर गढ़वाल, उत्तराखंड पिन-246174

लहरें
ठंडी ठंडी लहरें,
छू कर पैरों को जाती लहरें
आती लहरें जाती लहरें
लाती कुछ ले जातीं लहरें
बलखातीं इठलातीं लहरें
क्या कह जातीं हमसे लहरें
चलते रहना, कभी न थमना
मस्ती में बहना, कह जातीं लहरें
मन की लहरें या लहरों में मन है
जल में लहरें या लहरों में जल है।

अंजलि आहूजा
आहूजा भवन, कमलेश्वर रोड
श्रीनगर गढ़वाल, उत्तराखंड
पिन-246174

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