Bihar। वैश्विक प्रदूषण का समाधान कालिदास साहित्य में : प्रो. लाभ

वैश्विक प्रदूषण का समाधान कालिदास साहित्य में – प्रो. लाभ

भारतीय मनीषा महाकवि कालिदास के अवदान से भरी पड़ी है। महाकवि कालिदास का प्रकृति-प्रेम उनके रचना-संसार में सभी जगह दिखाई देता है। प्रकृति का जैसा मानवीकरण कालिदास ने किया है वैसा विश्व के किसी दूसरे साहित्य में मिलना दुर्लभ है। प्रकृति के कण-कण को महाकवि कालिदास ने अपनी लेखनी से जीवंत बनाया है।
उक्त उदगार नव नालन्दा महाविहार के संस्कृत विभाग द्वारा आयोजित कालिदास जयंती समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. वैद्यनाथ लाभ ने व्यक्त किए। प्रो. लाभ ने कहा कि आज पूरा विश्व जिस प्रदूषण के संकट से कराह रहा है उसका समाधान कालिदास के साहित्य से मिल सकता है।
गोष्ठी में व्याख्यान देते हुए प्रो. विजय करन ने कहा कि महाकवि कालिदास की छहों रचनाओं में प्रकृति के साथ विभिन्न पात्रों का माध्यम से प्रकट किया है। वह अपने आप में बेजोड़ है। भारतीय परंपरा की सनातनी जीवन पद्धति को मजबूती प्रदान करने के लिए हमें कालिदास के साहित्य से महत्वपूर्ण सूत्र लेने ही होंगे।
संगोष्ठी में अपने उदबोधन में डॉ. रूबी कुमारी ने कालिदास के साहित्य में चित्रित नारी पात्रों का प्रकृति के साथ सुकोमल सम्बन्धों को रेखांकित किया।
विभाग के डॉ. नरेंद्र दत्त तिवारी ने वैदिक काल के ऋषियों के मन में जो पर्यावरण सम्बन्धी चिंताएँ थी, उनकी स्पष्ट छाया कालिदास साहित्य में वर्णित है। इस विषय को स्थापित किया।
डॉ. राजेश कुमार मिश्र ने विचार गोष्ठी का संचालन किया। धन्यवाद ज्ञापन महाविहार के कुलसचिव डॉ. सुनील प्रसाद सिन्हा ने की ।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से मैडम कुलपति डॉ. नीहारिका लाभ,  प्रो. राजेश रंजन, प्रो. रविंद्रनाथ श्रीवास्तव, प्रो. सुशिम दुबे, प्रो. पुरुषोत्तम सिंह राणा, डॉ. अनुराग शर्मा, डॉ. मुकेश वर्मा, डॉ. प्रदीप दास, डॉ. विश्वजीत कुमार, डॉ. श्रीकांत सिंह, डॉ. हरेकृष्ण तिवारी, डॉ. चन्द्रभूषण मिश्रा, डॉ. दीपंकर लामा, डॉ. सुरेश कुमार, डॉ. सोनम लामो, श्री जितेंद्र कुमार, श्री भीष्म कुमार तथा महाविहार के सभी अध्यापकगण एवं सभी कर्मचारीगण उपस्थित हुए।