Covid-19। कोरोना से बचाव के उपाय और हमारी भूमिका

कोरोना से सबक लेने की जरूरत

सादगी और संयम को अपनाने की जरूरत

सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठन भी निभाए अपनी जिम्मेदारी

प्रांगण रंगमंच ने आयोजित किया ऑनलाइन परिचर्चा
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मधेपुरा। कला-सांस्कृतिक एवं समाज की सकारात्मक गतिविधियों को बढ़ावा देने वाली संस्था प्रांगण रंगमंच के सदस्यों द्वारा रविवार को गूगल मीट के माध्यम से ऑनलाइन परिचर्चा का आयोजन किया गया। इसका विषय था वैश्विक महामारी कोरोना से बचाव के उपाय और हमारी भूमिका।

इस अवसर पर मुख्य वक्ता बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा मधेपुरा के जनसंपर्क पदाधिकारी डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि कोरोना संक्रमण महज एक महामारी का संकट नहीं है। यह जीवन-दर्शन एवं सभ्यता- संस्कृति का संकट। यह विकास नीति एवं जीवन मूल्य से जुड़ा संकट है।

उन्होंने कहा कि हमें तत्काल तो कोरोना से बचना है और दूसरों को भी बचाना है। आगे के लिए कुछ सुरक्षात्मक उपाय भी करने हैं, ताकि आगे ऐसे संकट को रोका जा सके। इसके लिए हमें अपनी जीवन दृष्टि और जीवन शैली में परिवर्तन लाना होगा। हमें सादगी, संयम एवं सुचिता को अपने व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन में अंगीकार करना होगा।

उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि मानव सभ्यता पर पहली बार कोई संकट आया है। संकट पहले भी आते रहे हैं और आगे भी आते रहेंगे। हमें अन्य संकटों की तरह ही कोरोना संकट को भी सुधार के एक अवसर के रूप में लेना चाहिए। हम कोरोना के बाद भी किसी प्रकार की लापरवाही नहीं करें।

उन्होंने कहा कि हम कोरोना संक्रमण से सीख एवं सबक लें। हमें संकट का उपचार तो करना ही चाहिए और साथ ही उसका स्थाई निदान भी ढूंढना चाहिए। हम भोगवादी आधुनिक सभ्यता-संस्कृति और भौतिक विकास की होड़ को छोड़ें। अपनी प्राचीन भारतीय सभ्यता-संस्कृति और प्रकृति-पर्यावरण की शरण में जाएं।

प्रांगण रंगमंच के संरक्षक मंडल के सदस्य सुकेश राणा ने कहा कि कोरोना संक्रमण से बचने में हमारी प्राचीन परंपराएं मददगार हो सकती हैं। हम योग एवं आयुर्वेद को अपनाकर कोरोना को दूर भगा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि विकास के लिए विज्ञान जरूरी है। लेकिन हमें अपनी प्राचीन परंपराओं एवं जड़ों को भी नहीं भूलना चाहिए। हमें प्राचीनता एवं आधुनिकता के बीच समन्वय बनाकर चलना होगा।

संरक्षक मंडल के सदस्य राकेश सिंह ने भी कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए कई बिंदुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हमें पहले तो स्वयं को बचाना होगा‌। फिर दूसरों को बचाने के लिए भी प्रयास करने होंगे। दूसरों को बचाने के क्रम में भी हमें सावधानी रखनी होगी।

उन्होंने कहा कि हमें कोरोना पीड़ितों के साथ साद्व्यवहार करना चाहिए और ज्यादा पैनिक नहीं होना चाहिए। यह देखा गया है कि कोरोना संक्रमित लोगों के घरों में भी अन्य लोगों का रिपोर्ट नेगेटिव आता है।

शहर के प्रतिष्ठित व्यापारी सोनी पुस्तक भंडार के प्रोपराइटर कुंदन बाबा ने प्रांगण रंगमंच के लिए बनाए गए ब्लड डोनर एप के बारे में विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इस ऐप के माध्यम से लोग पूरे बिहार में कहीं भी और कभी भी रक्त के लिए रिक्वेस्ट कर सकेंगे. एप्प बन जाने से लोग कहीं भी और कभी भी रक्तदान कर सकते हैैं और रक्त प्राप्त भी कर सकते हैं. इससे रक्त की कमी से हुई मौत के दरों में कमी आएगी. हम लोगों को असमय मृत्यु की गाल में समाने से बचा सकते हैं।

गायक सुनीत साना ने बताया कि इस ब्लड डोनेट एप्प में डॉ. शालू शुभम से द्वारा बताए रक्तदान से संबंधित जानकारी भी मौजूद है. इसे पढ़कर हम यह जान सकते हैं कि रक्तदान करने से कोई समस्या नहीं होती है. यहां तक कि रक्तदान करने से कई बीमारियों का खतरा दूर होता है. हर स्वस्थ आदमी को कम से कम हर 3 महीने पर एक बार रक्तदान जरूर करना चाहिए.

 

परिचर्चा की अध्यक्षता मंच के अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार परमार ने की. उन्होंने कोरोना वायरस से हुए देश एवं समाज को हुई हानि और बचाव के उपायों पर विशेष रूप से प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के इस दौर में सभी सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठनों की भी जिम्मेदारी बढ़ गई है। हम सबों को अपने स्तर से इस महामारी से बचने के लिए प्रयास करना चाहिए।

मौके पर कार्यकारिणी सदस्य विक्की विनायक, अक्षय कुमार, संयुक्त सचिव आशीष कुमार सत्यार्थी एवं शिवानी अग्रवाल, खुशबू आजाद, नेहा कुमारी, शिवांगी गुप्ता, शशि भूषण कुमार, रूपक कुमार, आनंद कुमार, धीरेंद्र कुमार निराला नीरज कुमार निर्जल, दुर्गेश प्रताप सिंह, भानू प्रताप आदि मौजूद थे। इस अवसर पर कलाकारों ने गीत गाकर माहौल को खुशनुमा कर दिया।