Search
Close this search box.

Poem। कविता/हिंदी/पूजा शाकुंतला शुक्ला

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

हिंदी हिन्द ही भाषा है
प्रेम, रस, रंग, रागनी की
ये सबल व्याख्याता है
अक्षर – अक्षर गंगा है इसके
शब्द -शब्द शंकर के जैसे
मोह, ममता, वात्सल्य से
परिपूर्ण सुंदर हमारी माता है
भारतेन्दु, महादेवी, नीरज,
पंत, निराला, सुभद्रा ,अटल
दिनकर से है संतान इसके
विश्वपटल पर दिलाया
जिन्होंने सम्मान इसको।
दम्भ मैकाले का तोड़ा
इसने हर षड्यंत्र झेला
विषम बाधाओं में साहस से
अस्मिता का नाव खेया
कल भी खड़ी थी गर्व से यह
आज भी खड़ी झंझावात सह
ये हमारा सम्पर्क सूत्र है
मन के भावों का पटल है
आओ करें सम्मान इसका
शीश झुका कर नमन
जो भी पाया जो भी आया
सब है इसी का जाया
फूल श्रद्धा का करो अर्पण
करो शीश झुका नमन

पूजा शाकुंतला शुक्ला

READ MORE