स्वामी अग्निवेश को श्रद्धांजलि

स्वामी अग्निवेश जी के साथ 25 मार्च, 2017 की तस्वीरें है। यह उनसे मेरी पहली और आखरी मुलाकात थी। उसी दिन एक सभा में उन्हें सुनने का भी अवसर मिला। उनकी कई बातों ने प्रभावित किया। मैंने उन्हें अपनी पुस्तक गांधी-विमर्श भेंट की थी। बाद में फोन पर भी दो-चार बार उनसे बातचीत हुई। मैंने उनकी एक पुस्तक की 20 प्रति मंगबाई थीं. आज उनके निधन का समाचार सुनकर आहत हूं।21 सितंबर, 1939 को छत्तीसगढ़ के सक्ति में जन्में स्वामी अग्निवेश ने कोलकाता में कानून और बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई करने के बाद आर्य समाज में संन्यास ग्रहण किया। आर्य समाज का काम करते-करते 1968 में उन्होंने एक राजनीतिक दल बनाई- आर्य सभा। बाद में उन्होंने 1981 में बंधुआ मुक्ति मोर्चा की स्थापना की। उन्होंने हरियाणा से चुनाव लड़ा और मंत्री भी बने, लेकिन मजदूरों पर लाठी चार्ज की एक घटना के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया.स्वामी अग्निवेश 1974 के लोकनायक जयप्रकाश आन्दोलन के दौरान जेल गए। गांधीवादी कार्यकर्ता मनोज मीता ने अपने एक फेसबुक पोस्ट में बताया है कि स्वाल मेंं अग्निवेश की दोस्ती शिवानन्द तिवारी से हुई और शिवानन्द तिवारी ने उन्हें गाँधी को पढ़ने को कहा और कुछ पुस्तकें भी दी | गाँधी को पढ़ने के पूर्व स्वामी गाँधी का उपहास सार्वजनिक मंचों से किया करते थे| पर जब गाँधी जी को पढ़ा तो लगा आज तक पढ़ा सारा ज्ञान मिथ्या था | फिर लगा गाँधी-विचार को प्रयोग में लाया जाए तो उनको गाँधी के द्वारा दूसरो का मल-मूत्र साफ करना बड़ा आकर्षित किया और उन्होंने उसे ही प्रयोग में लेन का निश्चय किया | तब ओपन शौचालय हुआ करता था जिसमें मल निचे गिर के जमा होता था और सफाईकर्मी उसे साफ करते थे | उन्होंने बताया कि एक तो शौचालय और उसपे से जेल का | उसके आस-पास इतनी गन्दगी थी की….. दूसरे दिन उन्हों ने शौचालय को साफ किया और सोचा की अगर एक दिन कर के छोड़ दिया तो ये प्रयोग नहीं हुवा और फिर वो तब तक चला जब तक वो जेल में रहें | फिर 77 में वो हरियाणा में मंत्री बने और जब उन्हें झंडा फहराने का मौका मिला तो उन्होंने जिले के कलेकटर को कहा की झंडा फहराने से पूर्व मैं कोई सार्वजनिक शौचालय साफ करूँगा तब झंडा फहराऊँगा।