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योग प्रतियोगिता 17 दिसंबर, 2024 को

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योग प्रतियोगिता 17 दिसंबर, 2024 को
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ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के तत्वावधान में आगामी 17 दिसंबर को अंतर महाविद्यालय योग प्रतियोगिता (पुरुष-महिला)- 2024 का आयोजन किया जाएगा।इसको लेकर शनिवार को प्रधानाचार्य प्रो. (डॉ.) कैलाश प्रसाद यादव की अध्यक्षता में एक बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें आयोजन की तैयारियों की समीक्षा की गई।

प्रधानाचार्य ने बताया कि कार्यक्रम के उद्‌घाटनकर्ता- सह-मुख्य अतिथि के रूप में बीएसएमयू, मधेपुरा के कुलपति प्रो. विमलेन्दु शेखर झा को आमंत्रित किया जाएगा। इस अवसर पर कुलसचिव प्रो. विपीन कुमार राय विशिष्ट अतिथि तथा क्रीड़ा एवं सांस्कृतिक परिषद् के निदेशक डॉ. मो. अबुल फजल एवं संयुक्त सचिव डॉ. जैनेन्द्र कुमार सम्मानित अतिथि होंगे। आयोजन में सहयोग हेतु पतंजलि योग समिति के अध्यक्ष राकेश कुमार भारती को आमंत्रित किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि कार्यक्रम में टीम भेजने हेतु सभी अंगीभूत एवं संबद्ध महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों को पत्र प्रेषित कर दिया गया है। पीटीआई को निर्देशित किया गया है कि सभी प्रधानाचार्यों से टेलीफोनिक संपर्क स्थापित कर कार्यक्रम में अधिकतम टीमों की भागीदारी सुनिश्चित कराई जाए।

इस अवसर पर अर्थपाल डॉ. मिथिलेश कुमार अरिमर्दन, दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर, गणित विभागाध्यक्ष ले. गुड्डु कुमार, पीटीआई नंदन कुमार भारती, प्रयोगशाला प्रभारी अर्जुन साह, प्रधान सहायक नारायण ठाकुर, कार्यालय सहायक राजीव रंजन आदि उपस्थित थे।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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