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*वेदांत का समाज-दर्शन विषयक ऑनलाइन व्याख्यान आयोजित*

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*वेदांत का समाज-दर्शन विषयक ऑनलाइन व्याख्यान आयोजित*

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बीएनएमयू, मधेपुरा की अंगीभूत इकाई ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के तत्वावधान में शनिवार को भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत संचालित भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित ‘स्टडी सर्किल’ योजनान्तर्गत वेदांती समाज-दर्शन विषयक ऑनलाइन व्याख्यान का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम में उद्घाटनकर्ता सह मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध गाँधीवादी विचारक पूर्व सांसद एवं पूर्व कुलपति पद्मश्री प्रो. रामजी सिंह ने कहा कि वेदांत चिंतन मात्र मायावाद नहीं है। यह बिल्कुल एक व्यावहारिक जीवन दर्शन है।

उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया भारतीय सभ्यता-संस्कृति और विशेषकर वेदांत चिंतन की ओर आकर्षित हो रही है। वेदांत में ही दुनिया के सभी दुख-दर्द का सच्चा एवं स्थाई समाधान है।

 

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता दर्शनशास्त्र विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) के पूर्व अध्यक्ष तथा अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के अध्यक्ष प्रो. जटाशंकर ने कहा कि वेदांत मात्र आध्यात्मिक चिंतन ही नहीं, बल्कि समगे जीवन-दर्शन भी है। इसमें जीवन के सभी चारों पुरुषार्थों यथा- धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष के महत्व को स्वीकार किया गया है।

उन्होंने कहा कि वेदांत दर्शन ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ एवं ‘सर्वेभवन्तु सुखिनः’ के आदर्शों पर आधारित है। इसमें न केवल सभी मनुष्यों, वरन् चराचर जगत के कल्याण की कामना की गई है।

उन्होंने कहा कि वेदांती चिंतन सहस्त्रों वर्षों से भारतीय समाज का मार्गदर्शन कर रही है। इसी दर्शन के कारण तमाम झंझावातों के बावजूद भारतीय सभ्यता- संस्कृति की धारा निरंतर प्रवाहित होती रही है।

 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष तथा भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला के नेशनल फेलो प्रो. आर. सी. सिन्हा ने कहा कि वेदांती चिंतन ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है। शोपेनहावर जैसे कई विदेशी दार्शनिकों ने भी वेदांत को अपने जीवन का आदर्श बताया है।

 

कार्यक्रम के प्रारंभ में संगीत शिक्षिका शशिप्रभा जायसवाल ने सरस्वती वंदना की प्रस्तुति की। अतिथियों का स्वागत प्रधानाचार्य प्रो. कैलाश प्रसाद यादव ने किया। तकनीकी पक्ष शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान ने संभाला।संचालन आयोजन सचिव सह स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने किया।

इस अवसर पर मगध विश्वविद्यालय, बोधगया की पूर्व कुलपति प्रो. कुसुम कुमारी, महामंत्री प्रो. जे. एस. दुबे, डॉ. आलोक टंडन, प्रो. शोभा मिश्र, डॉ. सिद्धेश्वर काश्यप, डॉ. मिथिलेश कुमार अरिमर्दन, डॉ. देशराज सिरिसवाल, शिशुपाल कुमार, यास्मीन बानो, विनय शाह, विनय कुमार तिवारी, विकास यादव, वेंकटेश्वर, स्वाति स्वराज, ओमजी पाटिल, स्वाति प्रिया, सुशांत कुमार, सुनील सिंह, सुभद्र कुमार, सुनील, स्नेहा कुमारी, प्रिया शर्मा, श्याम प्रिय, शिवेंद्र प्रताप सिंह, शशि कृष्णा, शैलेश यादव, सर्वोदय सरकार, संजना कुमारी, शशि कृष्णा, संध्या, रूप कुमारी, रेवती रमण, रेनू गुप्ता, रोशन कुमार, रंजीत पासवान, रणधीर कुमार, रजनी सिंह, राहुल यादव, प्रो. हरीश, प्रो. प्रियंका, कुमारी प्रीतम, प्यारे पवन कुमार, राज पल्लवी, राज निषाद, रुबीना खान, मनोज यादव माधुरी कुमारी ललित कुमार, ऋषभ कल्याणी, सारंगी कैलाश प्रसाद, जूही कुमारी, गोपाल डॉ. पुष्पित, डॉ. वंदना साहू, चंद्र किशोर वीरेंद्र कुमार विनीता कुमारी, हिमांशु शेखर सिंह आदि उपस्थित थे।

*Feedback Form*

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली

शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली

ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा (बिहार), भारत

स्टडी सर्किल (Study Circle)

वेदान्त का समाज-दर्शन

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