Search
Close this search box.

साहित्यिक प्रतियोगिता (लिटरेरी इवेंट) का आयोजन

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

क्रीड़ा एवं सांस्कृतिक परिषद, भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के तत्वाधान में बुधवार को मानविकी संकाय, बीएनएमयू के द्वारा साहित्यिक प्रतियोगिता (लिटरेरी इवेंट) का आयोजन विश्वविद्यालय के शैक्षणिक परिसर  में किया गया।

कुलपति प्रो.(डॉ.) विमलेन्दु शेखर झा ने दीप प्रज्वलन करके कार्यक्रम की शुरुआत की। इससे पहले मानविकी संकाय के डीन एवं अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) राजीव मल्लिक ने पुष्प गुच्छ देकर कुलपति का स्वागत किया। राष्ट्रगान के साथ उद्घाटन समारोह का कार्यक्रम समाप्त हुआ। उद्घाटन समारोह का संचालन मैथिली विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ कमल मोहन चुन्नू ने किया।

प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए कुलपति ने कहा कि बीएन मंडल विश्वविद्यालय में जल्द खेल काम्प्लेक्स का निर्माण होगा। जिसमें खेल से सम्बंधित बहुत सारी सुविधाएं होंगी। हमें खेल के क्षेत्र में भी एक नया मुकाम हासिल करना है।

क्रीड़ा एवं सांस्कृतिक परिषद् के निदेशक डॉ. मो.अबुल फज़ल ने कहा कि हमें राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भी बेहतर प्रदर्शन करना है। हम नए सिरे से इसके लिए प्रयास कर रहे हैं।

क्रीड़ा एवं सांस्कृतिक परिषद् के संयुक्त सचिव डॉ. जैनेन्द्र कुमार ने कहा कि खिलाड़ियों को विश्वविद्यालय में कुछ अतिरिक्त सुविधा मिलनी चाहिए ताकि वे खेल को लेकर उत्सुक हों। इसके लिए हमलोग प्रयासरत हैं।

इस अवसर पर विज्ञान संकाय के डीन प्रो अरुण कुमार यादव, सामाजिक विज्ञान के डीन प्रो. (डॉ.) अशोक कुमार, कॉमर्स के डीन प्रो.(डॉ.) सुरेश कुमार, आईक्यूएसी निदेशक प्रो.(डॉ.) नरेश कुमार ने भी सम्बोधित किया।

भाषण प्रतियोगिता में एमएचएम कॉलेज, सोनवर्षा की गीतांजली कुमारी ने प्रथम, आरएम कॉलेज, सहरसा की गुरप्रीत कौर ने द्वितीय, आरएम कॉलेज, सहरसा की पूजा कुमारी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।

वाद-विवाद प्रतियोगिता में आरएम कॉलेज, सहरसा की पूजा कुमारी ने प्रथम, आरएम कॉलेज, सहरसा के मनीष कुमार ने द्वितीय, पार्वती विज्ञान महाविद्यालय, मधेपुरा की शाहीन जहाँ ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।

प्रश्नोत्तरी (क्विज) प्रतियोगिता में आरएम कॉलेज, सहरसा की गुरप्रीत कौर, वर्षा रानी और मनीष कुमार ने प्रथम, टीपी कॉलेज, मधेपुरा के प्रिंस कुमार ने द्वितीय, पीजी डिपार्टमेंट, उत्तरी परिसर के सौरभ कुमार सुमन, सौरभ कुमार, गौरव कुमार ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।

साहित्यिक प्रतियोगिता में चयन समिति सदस्य डॉ. शम्भू राय, डॉ. प्रफुल्ल कुमार, डॉ. कुमार सौरभ एवं श्री मुन्ना कुमार ने बारीकी से प्रतिभागियों का मूल्यांकन किया। अंत में निर्णायकों ने सभी प्रतिभागियों के मजबूती और कमजोरी पर विस्तार से चर्चा की और उन्हें आगे बेहतर करने के लिए प्रेरित किया।

अंत में सभी विजेताओं को क्रीड़ा एवं सांस्कृतिक परिषद् के निदेशक ने डॉ. मो. अबुल फज़ल, मानविकी संकाय के डीन और अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष प्रो.(डॉ.) राजीव मल्लिक, क्रीड़ा एवं सांस्कृतिक परिषद् के संयुक्त सचिव डॉ. जैनेन्द्र ने सम्मानित किया।

कार्यक्रम में मैथिली विभागाध्यक्ष प्रो.(डॉ.) डी एन साह, उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ. मो. एहसान, कॉमर्स विभागाध्यक्ष डॉ सुनील कुमार सिंह, इतिहास विभाग के अध्यक्ष सी.पी. सिंह, हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. विनोद मोहन जायसवाल, वित्त पदाधिकारी डॉ. सुरेश कुमार, डॉ.विश्वनाथ विवेका, डॉ. अमरेंद्र कुमार , डॉ. सज्जाद अख्तर, डॉ. संजीव कुमार, डॉ. पूजा गुप्ता, डॉ. मोनिका, डॉ. दीपक राणा, भानू कुमार, आर्यमन, प्रभु, प्रसन्न, सौरभ, आकाश इत्यादि उपस्थित रहे।

READ MORE

बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

[the_ad id="32069"]

READ MORE

बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।