योग से होती है शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक उन्नति : डॉ. कविता भट्ट ‘शैलपुत्री’

योग के अभ्यास द्वारा शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक उन्नति निश्चित है : डॉ. कविता भट्ट ‘शैलपुत्री’
मधेपुरा (बिहार)

योग विश्व को भारत की बहुमूल्य देन है। इसके अभ्यास से हम शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त कर सकतै हैं। योग सदियों से प्रचलित है। किंतु कोरोना काल के इस संकट में पूरी दुनिया के लिए यह और भी अधिक महत्त्वपूर्ण हो गया है। कोरोना संकट में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाने में भी योग की महती भूमिका है।
यह बात सुप्रसिद्ध लेखिका एवं योग-विशेषज्ञ एवं हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय, श्रीनगर-गढ़वाल, (उत्तराखंड) में कार्यरत डॉ. कविता भट्ट ‘शैलपुत्री’ ने कही। वे सोमवार को त्राटककर्म का यौगिक तथा शिक्षाशास्त्रीय महत्त्व: कोविड-19 पेंडेमिक के संदर्भ में विषयक व्याख्यान दे रही थीं। यह व्याख्यान बी. एन. मण्डल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के बीएनएमयू संवाद व्याख्यानमाला के तहत ऑनलाइन आयङ किया गया था।
उन्होंने कहा कि योग से चित्त शांत, शरीर निर्मल एवं बुद्धि निर्विकार होती है। योग हमें संवेदनशील, सकारात्मक एवं रचनात्मक बनाता है।


हम योग को अपने जीवन में अपनाकर सभी प्रकार के दुःखों से मुक्त हो सकते हैं।
उन्होंने बताया कि योग के आठ अंग हैं। यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि। इन आठो अंगों का अपना अलग अलग महत्व है। योग को सिर्फ आसन एवं प्राणायाम तक सीमित नहीं किया जा सकता है। सभी आठो अंगों का पालन आवश्यक है। राजयोग और हठयोग आपस में सम्बद्ध हैं। आसन के अभ्यास से पूर्व षट्कर्म, यम तथा नियम का पालन आवश्यक है। षट्कर्म के अंतर्गत त्राटककर्म शैक्षणिक उन्नति में अत्यंत सहायक है। इससे दृष्टिदोष दूर होता है और स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है। यह एकाग्रता, सकारात्मकता, आत्मविश्वास, आशावाद और रचनात्मकता में वृद्धि हेतु सहयोगी है।
उन्होंने कहा कि मन एवं शरीर दोनों आपस में जुड़े हैं। यदि मन स्वस्थ नहीं होगा, तो शरीर के स्वास्थ्य पर भी उसका प्रभाव पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि योग का शिक्षा के क्षेत्र में काफी महत्व है। योग का शिक्षण एवं अधिगम के सुचारू संचालन में अत्यधिक उपयोग है। इसके माध्यम से हम मानसिक एकाग्रता को प्राप्त कर सकते हैं। योगाभ्यास से आत्मविश्वास बढ़ता है। कोरोना के इस विकट दौर में योग से रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होगी और मानसिक अवसाद से मुक्ति मिलेगी।
जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने बताया कि इस प्रकार के उपयोगी व्याख्यानों से उनके पेज को और भी अधिक सराहा जा रहा है। उन्होंने बताया कि 14 जुलाई को हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय, श्रीनगर-गढ़वाल, (उत्तराखंड) में दर्शनशास्त्र विभाग की अध्यक्ष डॉ. इंदू पांडेय खंडूड़ी का व्याख्यान होगा। वे भारतीय दर्शन में मानसिक समस्याओं के समाधान की विधि विषय पर व्याख्यान देंगी।